FICCI ने उधेड़ी RBI की बखिया, कहा- विकास विरोधी हैं केंद्रीय बैंक के कदम
औद्योगिक मंडल फिक्की के अध्यक्ष पंकज पटेल ने शनिवार को भारतीय रिजर्व बैंक की नीतियों की आलोचना करते हुए कहा कि ये उद्योग जगत के अनुकूल नहीं हैं और नीतिगत दरों में कटौती नहीं करके रिजर्व बैंक देश की आर्थिक वृद्धि में बाधा उत्पन्न कर रहा है। गौरतलब है कि चार अक्तूबर को अपनी मौद्रिक नीति समीक्षा में रिजर्व बैंक ने नीतिगत ब्याज दरों को छह प्रतिशत के पूर्वस्तर पर बनाए रखा जबकि चालू वित्त वर्ष के लिए उसने देश की आर्थिक वृद्धि के अनुमान को घटाकर 6.7% कर दिया। पटेल ने कहा कि इस तरह के कदम विकास विरोधी हैं।
भारतीय पत्रकारों के एक समूह से पटेल ने कहा, ‘‘रिजर्व बैंक उचित व्यवहार नहीं कर रहा है। यह (रिजर्व बैंक की नीतियां) विकास विरोधी हैं।’’ उन्होंने कहा कि भारतीय उद्योग को आशा है कि ब्याज दरों में कमी आएगी और रिजर्व बैंक सही दृष्टिकोण अपनाएगा। पटेल ने कहा, ‘‘हम (उद्योग) ब्याज दरों में कटौती चाहते हैं। यह हमारे लिए अब एक बड़ी समस्या बन गई है। आज की तारीख में भारत में वास्तविक ब्याज दर करीब 6% के बराबर है।’’ पटेल ने कहा कि वृद्धि, मुद्रास्फीति और ब्याज दरों के बीच एक संतुलन होना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा कुछ दिनों पहले ही करवाए गए सर्वे के अनुसार, खरीदारी को लेकर लोगों का मनोबल गिर रहा है, निर्माण क्षेत्र के कारोबारी निराश हो रहे हैं, मुद्रा स्फिति बढ़ रही है और विकास दर नीचे फिसल रही है। आरबीआई के सर्वे के नतीजे उसकी चार अक्टूबर को पेश की गई आर्थिक नीति समीक्षा रिपोर्ट से भी मेल खाते हैं। आरबीआई ने आर्थिक नीति समीक्षा रिपोर्ट में वित्त वर्ष 2017-18 में अनुमानित विकास दर 7.3 से घटाकर 6.7 कर दी थी।
आरबीआई के अनुसार, पिछले चार तिमाहियों से आम उपभोक्ताओं में आम आर्थिक हालात को लेकर निराशा का भाव है। चार अक्टूबर को आरबीआई द्वारा जारी किया गया कंज्यूमर कॉन्फिडेंस सर्वे में कहा गया है कि सितंबर 2017 तक आम आर्थिक स्थिति के बारे में 34.6 प्रतिशत जवाबदाताओं ने कहा कि स्थिति “सुधरी” है, जबकि सितंबर 2016 तक ऐसा मानने वालों की जवाबदाता 44.6 प्रतिशत थी। सर्वे के अनुसार सितंबर 2017 तक 40.7 प्रतिशत जवाब देने वालों ने कहा कि आर्थिक स्थिति “बिगड़ी” है, जबकि सितंबर 2016 तक 25.3 प्रतिशत जवाब देने वाले ही ऐसा मानते थे।