जेपी ग्रुप ने सुप्रीम कोर्ट में कहा- यमुना एक्सप्रेस वे बेच कर चुकाएंगे फ्लैट खरीदारों का बकाया
जेपी ग्रुप ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि वह यमुना एक्सप्रेस वे को बेचकर फ्लैट खरीदारों का बकाया चुकाना चाहता है। करीब 30 हजार खरीदारों को अभी तक फ्लैट नहीं मिला है। जेपी इंफ्राटेक ने कहा कि वह यमुना एक्सप्रेस वे दूसरे डवलपर को बेचना चाहता है, जो जिसने इसके लिए उसे 2500 करोड़ रुपए का ऑफर दिया है। जेपी ग्रुप को कहा गया कि इस महीने की 27 तारीख तक 2000 करोड़ रुपए सुप्रीम कोर्ट में जमा कराएं, ताकि फ्लैट खरीदारों का पैसा वापस लौटाया जा सके। इस प्रोजेक्ट के तहत फ्लैट खरीदने वाले 40 लोगों ने पिछले साल लाए गए ‘दिवालियापन कानून’ को चुनौती दी थी, जिसके तहत बैंक डवलपर की प्रोपर्टी बेचकर बकाया लोन की पूर्ति कर लेगा, लेकिन घर खरीदने वालों के लिए किसी तरह का कोई प्रावधान नहीं किया गया। 500 करोड़ रुपए का लोन नहीं चुकाने पर बैंकों से कहा गया था कि जेपी इंफ्राटेक को दिवालिया घोषित किया जाए। अगर कंपनी अपने आपको दिवालिया घोषित करती है तो खरीदारों को उनसे वादा किया गया फ्लैट या निवेश की गई रकम वापस मिलने की संभावना नहीं है।
बता दें, अगस्त महीने में नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल ने जेपी बिल्डर्स को दिवालिया घोषित किया था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कंपनी पर 8 हजार 365 करोड़ रुपये का कर्ज है। फिलहाल ट्रिब्यूनल ने जेपी इन्फ्राटेक कंपनी को अपना पक्ष रखने के लिए 270 दिनों की मोहलत दी है। इस अवधि में अगर कंपनी की स्थिति सुधर गई तो ठीक है, नहीं तो उसकी सभी संपत्तियां नीलाम की जा सकती हैं। ट्रिब्यूनल की इलाहाबाद बेंच ने IDBI बैंक की याचिका को स्वीकार करते हुए जेपी इन्फ्राटेक को दिवालिया घोषित किया था।
दरअसल इसॉल्वेंसी और बैंकरप्सी कोड के तहत जब एनसीएलटी में कोई केस मंजूर कर लिया जाता है तो उसके बाद कंपनी को 180 दिनों के भीतर अपनी आर्थिक स्थिति सुधारनी होती है। इस अवधि को 90 दिन और बढ़ाया जा सकता है। फिर भी अगर कोई सुधार नहीं आता तो कंपनी की संपत्तियों को नीलाम कर दिया जाता है।