राजभवन ने रद्द कर दिया छात्र संघ चुनाव, यूनिवर्सिटी में हंगामा-तोड़फोड़, वीसी को हार्ट अटैक

17 अक्टूबर को होनेवाला तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय छात्र संघ का चुनाव फिलहाल टल गया है। प्रभारी कुलपति डा. रामजतन प्रसाद के मुताबिक राजभवन पटना ने यूनिवर्सिटी में चुनाव कराने की अनुमति नहीं दी। वोटर लिस्ट में भी गड़बड़ी पाई गई है। राजभवन ने इसे सही और पुख्ता करने को कहा है। बिना ऐसी तैयारी के ही छात्र संघ चुनाव कराने की तारीखों का एलान कर दिया गया था। ऐन वक्त पर चुनाव टलने से छात्र परेशान हैं। विश्वविद्यालय की साख पर भी बट्टा लगा है। इससे दो गुटों में बंटे छात्रों की राजनीति प्रभावित होने के साथ-साथ छात्रों की पढ़ाई और चुनाव लड़ रहे छात्रों का लाखों रुपये का नुकसान हुआ है। अलबत्ता चुनाव कराने और न कराने की मांग पर यूनिवर्सिटी में न केवल आंदोलन हुए बल्कि कॉलेजों से लेकर विश्वविद्यालय तक में तोड़फोड़ हुई। इन हंगामों और तनाव की वजह से कुलपति डा. नलनी कांत झा को दिल का दौरा पड़ गया। उन्हें इलाज के लिए गुड़गांव के मेदांता अस्पताल में एयर एम्बुलेंस से शुक्रवार को ले जाना पड़ा।

बता दें कि 14 साल बाद भागलपुर विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव कराने का शंखनाद विश्वविद्यालय अधिकारियों ने किया था। छात्रों में खुशी की लहर दौड़ पड़ी थी। छात्र राजनीति देश की राजनीति में जाने का द्वार माना जाता है। इसकी देश में कई मिसाल है। भागलपुर के संदर्भ में ही देखा जाय तो केंद्रीय राज्यमंत्री अश्विनी चौबे, गिरिराज सिंह, सांसद जयप्रकाश नारायण यादव, विधायक अजित शर्मा, सरीखे दर्जनों ऐसे नाम हैं जो भागलपुर विश्वविद्यालय छात्र राजनीति की देन हैं।

यहां अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद या छात्र राजद की बात नहीं की जा रही है। चुनावी बिगुल से छात्रों में एक अजीब सा उमंग छा गया था। कोई गेरुआ तो कोई हरा स्कार्फ गले में बांध घूमने लगे थे। इनमें से चुनाव लड़ रहे सभी 218 उम्मीदवारों के मन में अपनी जीत का गुलाबी सपना देख छात्र कल्याण की बातें सोचने लगे थे । यही वजह है कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने शनिवार को आक्रोश मार्च निकाला। छात्र राजद चुनाव स्थगित करने की मांग कर रहा था। मालूम रहे कि विश्वविद्यालय और कॉलेज छात्र संघ के नाम पर हरेक छात्र से कॉलेज फीस के साथ रकम वसूलती है।

गौरतलब है कि विश्वविद्यालय ने इस मामले में कई गलतियां की हैं। पहला तो वोटर लिस्ट में गड़बड़ी है, उसे ठीक नहीं कराया। दूसरा चुनाव कराने का आदेश राजभवन से भी नहीं लिया। प्रभारी कुलपति के मुताबिक विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने छात्रों के साथ-साथ ज़िला प्रशासन को भी धोखे में रखा।  फर्जी डिग्री कांड, असफल को सफल करार देने के किस्से, दूसरे विभाग के टीचरों को दूसरे विभाग का हेड बना देने का मामले के बाद अब बिना तैयारी के छात्र संघ चुनाव की कोशिश ने विश्वविद्यालय की साख गिरा दी है।

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