केजरीवाल-सिसोदिया पर 14 को तय होंगे आरोप: अदालत
दिल्ली की एक अदालत ने आपराधिक मानहानि की एक शिकायत के मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के खिलाफ आरोपों को तय करने के लिए 14 सितंबर की तिथि निर्धारित की है। मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट विजय कुमार झा ने केजरीवाल और सिसोदिया की व्यक्तिगत रूप से पेश होने से छूट की अर्जी स्वीकार कर ली। केजरीवाल और सिसोदिया की ओर से पेश अधिवक्ता उमेश गुप्ता ने इस आधार पर दोनों नेताओं को व्यक्तिगत रूप से छूट देने का आग्रह किया था कि वे उत्तर पश्चिम दिल्ली की बवाना विधानसभा सीट पर बुधवार को हो रहे उपचुनाव में व्यस्त हैं। इन दोनों आप नेताओं के अलावा अदालत मामले में योगेंद्र यादव के खिलाफ भी आरोप तय करेगी।
दोनों आप नेताओं के खिलाफ आपराधिक मानहानि की एक शिकायत पर अदालत ने दो अगस्त को आरोप तय करने के बारे में अपना आदेश दिया था। दोनों नेताओं और यादव ने इस याचिका को खारिज करने की मांग की थी। यह याचिका वकील सुरेंद्र कुमार शर्मा ने दायर की है जिसे आम आदमी पार्टी ने विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए टिकट देने से इनकार कर दिया था। अदालत ने आदेश में कहा था कि आरोपी व्यक्तियों की दलीलों में कोई दम नहीं है और वह उनके खिलाफ सीआरपीसी के तहत आरोप तय करेगी। यादव वर्ष 2015 तक आप की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य थे जब उन्हें कथित पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए निष्कासित कर दिया गया था। इसके बाद उन्होंने अपनी नई पार्टी स्वराज इंडिया बना ली थी।
शर्मा ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया था कि वर्ष 2013 में आप कार्यकर्ताओं ने यह कहकर उनसे संपर्क किया था कि केजरीवाल उनके सामाजिक कार्यों से प्रसन्न हैं और उन्हें पार्टी के टिकट पर दिल्ली विधानसभा का चुनाव लड़ने के लिए कहा गया। सिसोदिया और यादव ने उनसे कहा था कि आप की राजनीतिक मामलों की समिति ने उन्हें टिकट देने का फैसला किया है, जिसके बाद शर्मा ने चुनाव लड़ने के लिए आवेदन पत्र भरा था। लेकिन बाद में उन्हें पार्टी का टिकट देने से इनकार कर दिया गया। शिकायतकर्ता ने 14 अक्टूबर 2013 को दावा किया कि समाचार पत्रों में प्रकाशित लेखों में आरोपी लोगों ने उनके खिलाफ ‘अपमानजनक और गैरकानूनी’ शब्दों का इस्तेमाल किया। जिससे समाज में उनकी छवि को ठेस पहुंची।शिकायत का विरोध करते हुए आप नेताओं ने कहा कि चुनाव टिकट को रद्द करना या देना पार्टी का विशेषाधिकार है और शिकायतकर्ता ने उनके खिलाफ लंबित मामलों के संबंध में सही सूचना नहीं दी।