4 साल की थी जब गुंडों ने पिता को मार डाला था, बेटी ने जज बनकर पूरी की ख्वाहिश
साल 1992 में वो मात्र 4 साल की थीं जब उनके पिता को गुंडों ने बीच बाजार में गोलियों से भून दिया था। हमेशा ईमानदारी का पाठ पढ़ाने वाले पिता को खोने के बाद अंजुम सैफी ने फैसला कर लिया था कि अब उन्हें अपने स्वर्गीय पिता का सपना पूरा करना है और आज उन्होंने वो कर दिखाया। 29 वर्षीय अंजुम के पिता राशिद अहमद चाहते थे कि उनकी बेटी जज बने और लोगों को न्याय दे। पिता की मौत के 25 साल बाद अंजुम आखिरकार जज बन ही गईं। टाइम्स ऑफ इंडिया (टीओआई) की रिपोर्ट के मुताबिक लोक सेवा आयोग की पीसीएस जे-2016 की परीक्षा में सफल होने वाली अंजुम ने जब शुक्रवार को सफल अभ्यर्थियों की लिस्ट में अपना नाम देखा तब उनकी आंखों में खुशी के आंसू आ गए और वह अपने स्वर्गीय पिता को याद करने लगीं।
टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक ईमानदारी के रास्ते पर चलने वाले राशिद अहमद हमेशा से ही गुंडों और समाज के लिए गलत करने वालों के खिलाफ खड़े होते थे। उनकी मौत भी बदमाशों का विरोध करते हुए ही हुई थी। आज से 25 साल पहले साल 1992 में जहां अंजुम के पिता की हार्डवेयर की दुकान थी वहां उन्होंने लुटेरों और बदमाशों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। इतना ही नहीं पुलिस सुरक्षा बढ़ाने को लेकर राशिद अहमद ने आंदोलन भी किया था। एक दिन जब लुटेरे एक फेरीवाले को लूटने की कोशिश कर रहे थे तब अंजुम के पिता ने उन बदमाशों के खिलाफ आवाज उठाई और उनका विरोध किया। गुस्साए लुटेरों ने बीच बाजार में ही राशिद अहमद को गोलियों से भून दिया और उनकी हत्या कर दी। अंजुम मात्र चार साल की थीं जब उनके पिता का गोलियों से भुना हुआ शरीर उनके घर लाया गया था।
अंजुम को आज भी याद है कि उनके पिता हमेशा उन्हें जज बनाने का सपना देखते थे और इसके बारे में उनसे बातें किया करते थे। अंजुम की सफलता से जहां उनका पूरा परिवार और रिश्तेदार जश्न में डूबे हुए हैं तो वहीं अंजुम को अपने पिता की याद सता रही है। अंजुम की मां हमिदा बेगम का कहना है कि जब से अंजुम ने परीक्षा परिणाम देखा है तब से वह हर किसी से बस अपने पिता के बारे में ही बात कर रही है। वह अपने दोस्तों से कह रही है ‘काश आज पापा यहां होते ये सब देखने के लिए।’ हमिदा बेगम ने यह भी बताया कि उन्होंने अपने पांच बेटों और एक बेटी का भविष्य बनाने के लिए अपने पति का केस वापस ले लिया था। उन्होंने बताया कि वह अपने बच्चों को अच्छे से पढ़ाना चाहती थीं, इसलिए अपने पति का केस वापस ले लिया था।