पीएम के दौरे के बाद भी एकजुट नहीं हुए भाजपाई, खींच रहे एक-दूसरे की टांग, मिशन 2019 पर ग्रहण!
धानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को बिहार के एक दिवसीय दौरे पर थे। उन्होंने पटना विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह में हिस्सा लेने के बाद मोकामा में विभिन्न योजनाओं का शिलान्यास किया। लेकिन इन मौकों पर एक बात चौंकाने वाली सामने आई कि बिहार भाजपा के नेता आपसी खींचतान में खेमों में बंटे रहे। 12 अक्तूबर को सूबे के नगर विकास मंत्री सुरेश कुमार शर्मा जब भागलपुर आए थे तो उस वक्त भी उनके अभिनंदन समारोह में भाजपा का दूसरा खेमा गायब था। बता दें कि यह कार्यकम केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री अश्विनी चौबे के बेटे अर्जित चौबे के नेतृत्व में भाजपाइयों ने आयोजित किया था। दूसरा खेमा पूर्व केंद्रीय मंत्री शाहनवाज हुसैन का है। यों झारखंड के गोड्डा से सांसद निशिकांत दुबे का भी एक गुट है,ये सभी आपस में एक-दूसरे की काट करते रहते हैं।
भारतीय जनता पार्टी केंद्रीय नेतृत्व मिशन 2019 के तहत लोकसभा चुनाव में बिहार फतह करने की कोशिशों में है। मगर अंग क्षेत्र में भागलपुर और आसपास का भाजपा संगठन आपसी खींचातानी में उलझा हुआ है। आपसी फूट की वजह से ही बीते लोकसभा चुनाव में सीमांचल की कई सीटों के साथ-साथ भागलपुर और बांका संसदीय सीट पर भाजपा को पराजय का मुंह देखना पड़ा था। 2015 के बिहार विधान सभा चुनाव में भी भागलपुर जिले की छह विधान सभा सीटों में से भाजपा एक पर भी नहीं जीत सकी थी। बाबजूद इसके भाजपाई एक नहीं हो पा रहे हैं।
हालात भागलपुर भाजपा अध्यक्ष पद पर रोहित पांडे के मनोनीत होने के बाद से ज्यादा बिगड़े हैं। इनकी बनाई नई कमेटी को भाजपाई ही नाकाम बता रहे हैं। विरोध तो रोहित पांडे का ही खुलकर हो रहा है। इनका ज्यादा वक्त पटना में ही बीत रहा है। इधर लीना सिन्हा के महिला मोर्चा अध्यक्ष पद पर मनोनयन की खबर ने आग में घी का काम किया। मोर्चा की वरीय सदस्य अंजली घोष कहती हैं कि अध्यक्ष बनाने में वरीयता की अनदेखी की गई है। ये लोग बबिता मिश्रा को अध्यक्ष बनाना चाहती थीं। वाणिज्य मंच का संयोजक भी शिवकुमार कड़ेल को बना दिए जाने से असंतोष है। भाजपाई कहते हैं इनकी व्यापारियों पर वैसी पकड़ नहीं है।
प्रदेश भाजपा व्यावसायिक मंच का जीएसटी सहयोग केंद्र दफ्तर उद्घाटन में भी जमकर राजनीति हुई। शाहनवाज गुट के ही पूर्व जिला अध्यक्ष ने ही अड़ंगा लगाने की कोशिश की। हालांकि, इनकी चली नहीं। बगावत के सुर भाजपा के नए जिलाध्यक्ष के खिलाफ भी पुरुष के साथ-साथ महिला मोर्चा की सदस्यों ने बुलंद कर रखा है। पूनम सिंह, निभा सिंह, पुष्पा प्रसाद, गिरजा देवी बिम्मी शर्मा सरीखी से बातचीत में साफ़ जाहिर होता है कि वे इन्हें कतई बर्दाश्त करने के मूड में नहीं हैं।
इतना ही नहीं भागलपुर जिला परिषद के अध्यक्ष अनंत कुमार उर्फ टुनटुन साह भाजपा के ही सक्रिय सदस्य हैं। इनकी पत्नी सीमा साह नगर निगम की महापौर निर्वाचित हुई हैं। इनके पर्चा दाखिल के वक्त इनकी उम्र और बच्चों की उम्र को लेकर चुनाव आयोग के सामने विवाद खड़ा किया गया। आयोग के निर्देश पर इसकी सुनवाई भागलपुर के एसडीओ रोशन कुशवाहा कर रहे हैं। यह बखेड़ा भी भाजपा नेत्री और पूर्व उपमहापौर प्रीति शेखर ने ही खड़ा किया। बल्कि इस मुतल्लिक थाना कोतवाली में एफआईआर भी दर्ज भी कराई गई। टुनटुन साह कहते हैं कि भाजपाई ही भाजपाई को परेशान करने पर तुला है। जबकि प्रीति शेखर कहती हैं नगर निगम के चुनाव से पार्टी का कोई लेना देना नहीं है। टुनटुन साह ढीले पड़े हैं और चाहते हैं मामला किसी तरह वापस हो। इसके लिए वे भाजपाइयों के दर-दर घूम रहे हैं।
इसके अलावे शाहनवाज हुसैन और अश्विनी चौबे भाजपा के शीर्ष नेता होते हुए भी दोनों में 36 का आंकड़ा है। इनकी आपसी रंजिश में अश्विनी चौबे को पहले तो बक्सर जाना पड़ा। भागलपुर से टिकट शाहनवाज हुसैन को मिला लेकिन शाहनवाज चुनाव हार गए। बक्सर जाना अश्विनी चौबे के लिए फायदा साबित हुआ। वे वहां से चुनाव जीते और अब केंद्र में मंत्री बन गए। बात ही जुदा हो गई लेकिन विधान सभा चुनाव में दुश्मनी का बदला भागलपुर शहरी सीट से भाजपा टिकट पर लड़े अर्जित सारस्वत चौबे को भुगतना पड़ा। अर्जित बक्सर से सांसद अश्विनी चौबे के बेटे हैं। अर्जित को भाजपा के ही भितरघातियों ने हराया, यह सब जानते हैं।
बिहार विधान सभा चुनाव में भाजपा के ही विजय साह बागी बन इनके खिलाफ खड़े होकर 15 हजार के करीब वोट काटकर अर्जित की राह का रोड़ा बने। बागी विजय को चुनाव मैदान से हटाने की कोशिश भी हुई लेकिन भाजपाई नेताओं ने अपनी रंजिश साधने के लिए विजय बाण चला इनके मंसूबे पर पानी फेर दिया। कांग्रेस के अजित शर्मा जीते। यह रंजिश जारी है। नगर भाजपा के अध्यक्ष अभय कुमार घोष को जिला कमेटी के कार्यक्रमों की कोई जानकारी वक्त पर नहीं मिलती। नतीजतन प्रदेश संगठन से मिले कार्यक्रम में इनका कोई तालमेल नहीं बैठता है।
हालांकि, उत्तर बिहार खासकर सीमांचल में अपनी पैठ कैसे मजबूत करें इसको लेकर किशनगंज में तीन रोज 1-3 मई तक गहन मंथन हुआ था। भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक किशनगंज में करने का भी खास मकसद था। इस इलाके में बंगला देशी घुसपैठ का मुद्दा भी भाजपा के लिए पुराना जरूर है । मगर हमेशा सिरे पर रहा है ।दूसरा इस इलाके में 70 फीसदी आबादी मुस्लिम है। इनमें तीन तलाक का बीजेपी का मुद्दा असरदार तरीके से उछलना। तीसरा बीते लोकसभा चुनाव के मुकाबले 2019 में एनडीए की पैठ मजबूत करना। तीन दिवसीय बैठक में जिलों के अध्यक्ष, संगठन प्रभारी, प्रदेश पदाधिकारी, विधायक, सांसद और केंद्रीय मंत्री शरीक हुए। ज़िलों से गए भाजपाइयों को एकजुट रहने का मंत्र देते हुए तोते की तरह समझाया गया था। मगर कोई फर्क नहीं पड़ा।