जुनैद मर्डर केस: कहां गए वो वादे, जो कैमरे को देख कर चमके थे
वैसे तो इस मां के आंसू पूरे भारत ने पहले भी देखे थे, जब उसका बेटा उन्मादी भीड़ का शिकार हुआ था। ये जुनैद की मां सायरा हैं लेकिन इस बार सायरा की आंखों से छलकते आंसू बेटे को खोने के गम में नहीं, लोगों से टूटे भरोसे पर छलके हैं जो जुनैद की मौत पर बिना बुलाए ही पता पूछ-पूछ कर चले आए थे। ये आंसू अब उनके रवैये पर छलके हैं जो अब पता और परिचय बताने पर भी नहीं पहुंच पाते हैं। सायरा कहती हैं कि ऐसे लोगों ने आश्वासनों और वादों के पिटारे उनके घर पर रख दिए थे लेकिन जब उन पिटारों को मुश्किल वक्त में खोलकर देखने की कोशिश की गई तो वह खाली नजर आए। जुनैद के पिता को अभी हाल में हृदयाघात (हार्ट अटैक) हुआ था। तब उनकी मदद को कोई नहीं आया।
सायरा कहती हैं कि मुसलिमों के लिए रहनुमाई का झंडा बुलंद करने वाले ज्यादातर लोगों ने उनका साथ नहीं दिया। जबकि टीवी और मीडिया में आने के लिए वे अब भी उनके जख्मों का सौदा करते नजर आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों ने सिर्फ हमारे जख्मों पर राजनीति की लेकिन जरूरत पर कभी नजर नहीं आए। उन्होंने कहा कि हमारी जमात वालों से अच्छे तो गैर मुसलमान हैं जिन्होंने हमारा साथ दिया। सायरा ने बताया कि माकपा नेता बृंदा करात ने उनकी बहुत मदद की। उन्होंने कहा यह लड़ाई उनकीही वजह से अब तक जारी है। सायरा ने बताया कि बृंदा करात ने 5-5 लाख के दो चेक भी दिए, जुनैद का केस लड़ने के लिए तीन-तीन वकीलों की व्यवस्था की, जुनैद के अब्बू जलालुद्दीन को हार्टअटैक आने पर नोएडा के अस्पताल में भर्ती करवाया और उसके इलाज का खर्च भी उठाया। ये बात कहते हुए उनकी भावनाओं का ज्वार फूट है और वह आंसू पोंछते हुए कहती है कि ‘गैर मुसलमान उन मुसलिमों के रहनुमाओं से तो काफी बेहतर हैं जिन्होंने हमारे दरवाजे पर आकर केवल राजनीति की। उनके लिए बस दिल से दुआ निकलती है, अल्लाह हमेशा सलामत रखे।’
सुमन केशव सिंह