कहीं बिन पानी न मने दिवाली

दिवाली की तैयारियों के बीच राजधानी के कई इलाकों में पानी नहीं आने से लोगों को भारी मुश्किलें उठानी पड़ीं। कहीं पीने के लिए तो कहीं दैनिक क्रिया के लिए लोग बोतलबंद पानी खरीदने को मजबूर दिखे। यहां तक कि झुग्गियों तक में पानी के केन खरीदने के लिए लोग मजबूर हुए। वहीं बोतलबंद पानी बेचने वालों की चांदी रही।  पहले से मालूम नहीं होने के कारण लोगों ने पानी जमा भी नहीं कर रखा था। लोगों की साफ-सफाई की योजना पर ही पलीता नहीं लगा बल्कि बर्तन धोने या खाना बनाने का पानी भी नहीं था। अगले कुछ दिनों तक समस्या से निजात मिलने की उम्मीद भी नहीं है क्योंकि गंग नहर के पानी आने में अभी कम से कम चार से पांच दिन और लगेंगे। लोगों को चिंता है कि कहीं पानी की किल्लत उनकी दिवाली न खराब कर दे। लोगों का यह सवाल भी है कि गंग नहर बंद होने की सूरत में एहतियाती तैयारी क्यों नहीं की गई? कुछ लोगों ने एक लीटर की बोतल भी तीस रुपए में खरीदने की बात कही।

लोगों ने बताया कि वे पानी की परेशानी पिछले कई दिनों से महसूस कर रहे थे लेकिन पानी गंदा ही सही आ रहा था। लेकिन शनिवार से पानी की आपूर्ति हुई ही नहीं। हौजखास के एसएफएस फ्लैट में रहने वाले क ालेश्वर ने कहा कि कल पंप चलाया लेकिन दो मिनट भी पानी नहीं आया। सोचा कि सुबह भर लेंगे लेकिन सुबह भी पानी नहीं आया। बच्चों की दैनिक क्रिया तक के लिए बोतल का पानी खरीदना पड़ा। दीपावली की तैयारी में रसोई के डिब्बे-बर्तन धोने की तैयारी में दो दिन से परेशान विमलेश ने बताया कि उनके मुहल्ले में पानी की दुकान पर लाइन लगी थी।

देखते ही देखते दुकान खाली हो गई। नौबत यहां तक आ गई कि एक लीटर पानी की बोतल खरीजने के लिए एक व्यक्ति को 30 रुपए देने पड़े। शशिगार्डन झुग्गी बस्ती में रहने वाली विमलेश ने बताया कि लोग झुग्गियों में भी पानी खरीदने को मजबूर हैं। घरों में साफ-सफाई करके गुजारा करने वाली इस महिला ने कहा कि क्या कमाएं क्या खाएगें जब पानी भी खरीदना पड़े। एक केन के कोई चालीस मांग रहा था तो कोई तीस रुपए।

 

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