आज और कल हवा हो सकती है बेहद खराब

दिल्ली में गुरुवार को दिवाली पर प्रदूषण खतरनाक स्तर पर रहने का अनुमान है। केंद्र सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के विभाग सिस्टम आॅफ एअर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च (सफर) ने चार दिन की चेतावनी जारी करते हुए दिवाली वाले दिन को प्रदूषण के लिहाज से बहुत खराब की श्रेणी में रखा है। साथ में सफर ने परामर्श भी जारी किया है कि दिल्लीवासियों को दिवाली वाले और उसके अगले दिन जहरीली हवा से बचने के लिए क्या-क्या करना होगा।
सफर की वेबसाइट के मुताबिक दिवाली वाले दिन पीएम10 प्रदूषण कणों की मात्रा हवा में 382 (बहुत खराब) और पीएम 2.5 कणों की 196 मिलीग्राम प्रति घन मीटर (बहुत खराब) होगी। इस आधार पर दिल्ली को रेड जोन में रखा गया है। दिवाली के दो-तीन दिन बाद पीएम 10 की मात्रा 290 (खराब) और पीएम 2.5 की मात्रा 152 मिलीग्राम प्रति घन मीटर (बहुत खराब) होगी। इस संस्था ने लोगों को सलाह दी है कि दिवाली वाले और उसके अगलेदिन खुले में सुबह और सूरज डूबने के बाद किसी तरह की गतिविधि न करें।
क्या होते हैं प्रदूषण कण
पीएम 10 को रेस्पायरेबल पटिर्कुलेट मैटर कहते हैं। इन कणों का आकार 10 माइक्रोमीटर होता है। इससे छोटे कणों का व्यास 2.5 माइक्रोमीटर या कम होता है। ये कण ठोस या तरल रूप में वातावरण में होते हैं। इसमें धूल, गर्द और धातु के सूक्ष्म कण शामिल हैं।
’सूक्ष्म आकार के होने से यह आसानी से आपके फेफड़े तक पहुंच सकते हैं। फिर इसके बाद यह खून के जरिये दिल तक जा सकते हैं।
’पीएम 2.5 का लगातार सेवन अस्थामा और दिल से जुड़ी बीमारियां पैदा करने की क्षमता रखता है। इसके अलावा कफ, नाक बहना और लगातार छींकने की समस्या भी पैदा हो सकती है।
’पीएम 2.5 डीजल वाहनों से निकलता है जिसमें कार्बन होता है और यह कैंसर पैदा करने की क्षमता रखता है।
’दिल और फेफड़े की बीमारी पैदा कर सकता है या ऐसा होने की स्थिति में उसे और खतरनाक बना सकता है।

पीएम 2.5 से क्या है बचाव?
’पीएम 2.5 से बचाव के लिए गैस मास्क पहनने की जरूरत नहीं है। कॉटन के मास्क से आप ऐसे कणों को शरीर में जाने से रोक सकते हैं।
’बचाव के लिए एन-95 मास्क पहनने को कहा जाता है। एच1एन1 से बचने में इस मास्क का इस्तेमाल किया जाता है।
’पीएम 2.5 को रोकने का अकेला उपाय इसके स्रोत को रोकना है। यानी कूड़े को जलाया जाना, थर्मल पावर प्लांट्स जैसी जगहों पर इसे वातावरण में मिलने से रोका जा सकता है।
कितना सुरक्षित है पीएम 2.5?

’विश्व स्वाथ्य संगठन के मुताबिक ऐसा कोई सुरक्षित स्तर तो नहीं है क्योंकि किसी भी स्तर पर पीएम 2.5 खतरनाक है। हालांकि पीएम 2.5 को लेकर एक मानक है।
’मानक के मुताबिक औसतन पीएम 2.5 का स्तर एक साल में प्रति क्यूबिक मीटर 10 मिलीग्राम से अधिक नहीं होना चाहिए।
’एक दिन में यह 25 मिलीग्राम प्रति घन मीटर के नीचे होना चाहिए। हालांकि भारतीय सुरक्षा का स्तर 60 तक जाता है।

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