पहली साइनिंग अमाउंट से शाहरुख खान ने ऐसे मनाई थी दिवाली, दोस्तों को दिए गिफ्ट्स और गौरी को…
शाहरुख खान को बी-टाउन का किंग खान ऐसे ही नहीं कहा जाता है। उनका चार्म और एक्टिंग ने उनके फैंस को दीवाना बना देती है। लेकिन आज हम आपको शाहरुख खान का दिवाली से जुड़ा एक रोचक किस्सा बता रहे हैं जिसे जानकर आप शाहरुख खान को और भी पसंद करने लगेंगे।दिवाली भारत का प्रमुख त्योहार है, जिसे हर कोई बड़ी धूम-धाम से मनाता है। हर कोई चाहता है कि त्योहार को स्पेशल बनाया जाए। ठीक वैसे ही बी-टाउन के सेलेब्स दिवाली के त्योहार को अपने- अंदाज में मानते हैं। आज हम आपको बॉलीवुड के किंग खान के बारे में बता रहे हैं जिन्होंने अपने शुरुआती करियर की एक फिल्म के साइनिंग अमांउट से दोस्तों और पत्नी के साथ स्पेशल दिवाली मनाई थी।
दरअसल ये वाकया साल 1992 का है जब उन्होंने दिवाली से 2-3 महीने पहले फिल्म राजू बन गया जेंटिलमैन साइन की थी। शाहरुख खान को इस फिल्म का साइनिंग अमाउंट भी दिवाली से मिल गया था। उन्होंने दिवाली को और स्पेशल बनाने के लिए साइनिंग अमाउंट से अपने सभी दोस्तों के लिए ढेरों गिफ्ट खरीद लिए थे। साथ ही गौरी के लिए उनकी पसंदीदा ड्रेस खरीद कर दी थी।
एक इंटरव्यू के दौरान शाहरुख ने दिवाली की पुरानी यादें ताजा करते हुए बताया था कि पैसों की तंगी का सामना मुझे बहुत ज्यादा नहीं करना पड़ा है। मां बराबर मुझे पॉकेटमनी के पैसे देती रहती थीं। फिर सीरियल आदि में काम करके भी मुझे पैसे मिलते रहते थे। लिहाजा दिवाली पर हम दोस्तों के साथ खूब मौज-मस्ती करते थे, लेकिन ना जाने क्यों दिवाली से पहले मुझे एक बड़ी खुशी का हमेशा इंतजार रहता था। मुझे याद है, दिवाली से पहले मुझे ऐसी ही एक बड़ी खुशी मिली थी, जब दिवाली से दो-तीन माह पहले मैंने जीपी सिप्पी साहब की फिल्म राजू बन गया जेंटिलमैन साइन की थी। इसके साइनिंग अमाउंट से मैंने दिवाली के मौके पर अपने दोस्तों को खूब उपहार खरीद कर दिए थे। गौरी को उसका पसंदीदा ड्रेस खरीद कर दिया था।
शाहरुख ने बताया कि दिवाली हमेशा ही मेरा फेवरेट फेस्टिवल रहा है। इस मौके पर मैं खूब खुशियां बटोरता हूं। राजू भले ही मेरी पहली रिलीज फिल्म नहीं थी, पर यह मेरी पहली साइन की हुई फिल्म थी। आज भी दिवाली के दिन इस फिल्म से मिले पैसों की याद आ जाती है और मैं फिर से उन पैसों का हिसाब-किताब करने लगता हूं। तब लगता है मेरे द्वारा कमाए गए अब तक के सारे पैसों का उपयोग इससे अच्छा कभी नहीं हुआ था, क्योंकि तब मैं बहुत ज्यादा सपन्न नहीं था, बावजूद इसके मैंने खुले मन से दिवाली पर इन पैसों को अपने लोगों पर खर्च किया था