भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे, 5 बार सीएम रहे वीरभद्र सिंह की संपत्ति 5 साल में घटकर हुई 31 करोड़

हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने शुक्रवार (20 अक्टूबर) को सोलन जिले के अरकी विधानसभा सीट से नामांकन का पर्चा भर दिया है। सिंह ने अपनी पुरानी सीट शिमला (ग्रामीण) को अपने बेटे विक्रमादित्य सिंह के लिए खाली छोड़ दी है। नामांकन दाखिल करते वक्त सिंह के सैकड़ों समर्थक वहां मौजूद थे और उनलोगों ने इस मौके पर अपना शक्ति प्रदर्शन किया। चुनावी हलफनामे के मुताबिक पांच बार मुख्यमंत्री रहे वीरभद्र सिंह की कुल संपत्ति में गिरावट दर्ज की गई है। हलफनामे के मुताबिक इस वक्त उनकी कुल संपत्ति 31 करोड़ रुपये की है, जबकि पिछले विधानसभा चुनावों में साल 2012 में वीरभद्र सिंह ने अपनी कुल संपत्ति 34 करोड़ रुपये बताई थी। यानी पांच साल तक सीएम रहने के बावजूद उनकी संपत्ति में तीन करोड़ रुपये का घाटा हुआ है।

इससे पहले साल 2011 में उन्होंने केंद्रीय मंत्री रहते हुए अपनी संपत्ति का जो विवरण सौंपा था उसमें उनकी संपत्ति 22.23 करोड़ रुपये थी। उससे पहले साल 2009 के लोकसभा चुनावों में जब वो मंडी सीट से चुनाव लड़ रहे थे तब उन्होंने हलफनामे में बताया था कि उनकी कुल संपत्ति 22.52 करोड़ रुपये है। उससे पहले 2007 के विधान सभा चुनाव में उन्होंने चुनावी हलफनामे में 24.18 करोड़ की संपत्ति का विवरण सौंपा था।

यह चौथी बार है जब 83 साल के सीनियर कांग्रेसी नेता वीरभद्र सिंह ने अपना चुनाव क्षेत्र बदला है। इससे पहले 1983 में वो जब्बाल से और 1985 में कोठखी से चुनाव लड़ चुके हैं। इसके बाद वो पांच बार 1990, 1993, 1998, 2003 और 2007 में रोहरू से चुनाव लड़ चुके हैं। पिछली बार 2012 में उन्होंने शिमला (ग्रामीण) से चुनाव लड़ा था क्योंकि तब रोहरू अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित कर दिया गया था। इस बार उन्होंने शिमला (ग्रामीण) छोड़ अरकी से नामांकन किया है।

नामांकन के बाद सिंह ने मीडिया से बातचीत में कहा कि कांग्रेस विकास के मुद्दे पर चुनाव लड़ेगी और सत्ता में पूर्ण वापसी करेगी। बता दें कि इससे पहले इस बात की चर्चा थी कि वीरभद्र सिंह ठियोग सीट से पर्चा भरेंगे लेकिन अंतिम वक्त में उन्होंने अरकी से पर्चा दाखिल किया। सरकार में वरिष्ठ मंत्री रह चुकीं विद्या स्टोक्स ने सीएम के लिए ठियोग सीट छोड़ी थी और राजनीति से संन्यास लेने का एलान किया था।

 

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