मेघालय में बीजेपी ने वोटरों को लुभाया: सत्ता में आए तो नहीं होगा बीफ बैन

भारतीय जनता पार्टी ने मेघालय के मतदाताओं से वादा किया है कि अगर पार्टी राज्य में सरकार बनाती है तो बीफ बैन नहीं किया जाएगा। मेघालय बीजेपी कांग्रेस के इस दावे को भी गलत करार दिया कि केन्द्र देश भर में जानवरों को काटने पर रोक लगा दी है। मेघालय में अगले साल विधानसभा के चुनाव होने हैं। मेघायल बीजेपी के उपाध्यक्ष जे ए लिंगदोह ने कहा, ‘केन्द्र द्वारा बनाए गये कानून से किसी भी स्तर पर गायों को काटने पर रोक नहीं है।’ लिंगदोह के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार को भारत से बाहर जानवरों के स्मगलिंग पर रोक लगाने के लिए दिशा निर्देश बनाने को कहा है। उन्होंने कहा कि इस बारे में केन्द्र की ओर से जारी अधिसूचना का मकसद जानवरों के खरीद बिक्री बाजार को नियंत्रित करना है। जे ए लिंगदोह के मुताबिक गायों के काटने पर प्रतिबंध पूर्णरूप से नहीं है। इंडिया टाइम्स डॉट काम की रिपोर्ट के मुताबिक लिंगदोह ने कहा, ‘कानून ऐसा नहीं कहता है , यदि ऐसा कहता भी है तो इसे हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट द्वारा अवैध करार दे दिया जाएगा।

बता दें कि केन्द्र सरकार ने गौमांस पर रोक लगाने के लिए बाजार से गौवध के लिए गाय खरीदने पर रोक लगा दी है। इस नये नियम के दायरे में गाय के अलावे गोवंश के दूसरे पशु भी हैं। लिंगदोह ने इसी साल मई में केन्द्र के इस नियम का विरोध किया था और कहा था कि “हम पशुओं की खरीद-फरोख्त और उनके वध को लेकर जारी किए गए नए आदेश को स्वीकार नहीं कर सकते। हम अपनी खाने-पीने की आदतों के खिलाफ नहीं जा सकते हैं।” लिंगदोह के मुताबिक केन्द्र के इस कानून की गलत व्याख्या की गई है। उन्होंने बताया कि राज्य के जनजातियों की खान-पान की आदतों पर किसी भी हालत में प्रहार नहीं किया जाएगा।

बता दें कि मेघालय की आबादी लगभग 32 लाख है। यहां की जनसंख्या का ज्यादा हिस्सा क्रिश्चयन है। राज्य की दो मुख्य जनजातियां खासी और गारो हैं, जो गोमांस खाती हैं। ये दोनों जनजातियां राज्य की आबादी का तीन चौथाई हिस्सा हैं। बता दें कि इसी साल एक स्थानीय बीजेपी नेता ने कहा था कि अगर बीजेपी सत्ता में आती है तो पार्टी लोगों को सस्ते बीफ की सप्लाई करेगी। लेकिन केन्द्र द्वारा नया कानून लाने के बाद इस बीजेपी नेता पार्टी से इस्तीफा दे दिया था।

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