राजस्थान: प्रस्तावित कानून पर ट्रोल हुईं वसुंधरा राजे, ट्विटर पर मिला तुगलकी महारानी का खिताब

राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को प्रस्तावित नये कानून के लिए सोशल मीडिया पर जबर्दस्त आलोचना का शिकार होना पड़ रहा है। कांग्रेस आम आदमी पार्टी समेत कई विपक्षी दलों का आरोप है कि राज्य सरकार का ये बिल भ्रष्ट अधिकारियों को कानूनी संरक्षण देने की सरकारी साजिश है। ट्विटर पर वसुंधरा राजे के खिलाफ तुगलकी महारानी ट्रेंड कर रहा है। सोशल मीडिया राजस्थान सरकार के इस प्रस्तावित कानून को फ्री स्पीच का भी उल्लंघन भी बता रहा है। बता दें राजस्थान सरकार सोमवार (23 अक्टूबर) से शुरू होने जा रहे विधान सभा सत्र में जजों, मजिस्ट्रेटों और अन्य सरकारी अधिकारियों, सेवकों को सुरक्षा कवच प्रदान करने वाला बिल पेश करेगी। यह बिल हाल ही में लाए गए अध्यादेश का स्थान लेगी। इसके मुताबिक ड्यूटी के दौरान उठाये गये किसी भी कदम के खिलाफ राज्य के किसी भी कार्यरत जज, मजिस्ट्रेट या सरकारी अधिकारियों के खिलाफ कोई भी शिकायत सरकार की इजाजत के बगैर दर्ज नहीं की जा सकेगी। ट्विटर पर इसके खिलाफ जबर्दस्त गुस्सा देखने को मिल रहा है।

आम आदमी पार्टी नेता कुमार विश्वास ने मसले पर एक के बाद एक कई ट्विट किये। कुमार विश्वास ने अदम गोंडवी के जन्मदिन के मौके पर उनकी एक कविता को कोट करते हुए लिखा, ‘जो डलहौज़ी न कर पाया वो ये हुक्क़ाम कर देंगे, कमीशन दो तो हिंदुस्तान को नीलाम कर देंगे।’ तुग़लकी_महारानी को भेंट।’मोंटू गर्ग ने लिखा, ‘हर रोज बीजेपी तानाशाही की ओर बढ़ रही है।’ जिया नोमानी ने लिखा, ‘राजस्थान सरकार की घोषणा, सरकारी अधिकारियों के खिलाफ बिना इजाजत के जांच नहीं हो सकेगी, उत्तर कोरिया में आपका स्वागत है।’ हिमांशु वर्मा ने लिखा, ‘वसुंधरा राजे भ्रष्ट अधिकारियों को बचाना चाहती है क्योंकि इसमें उनका अपना स्वार्थ है।’ प्रियांशु मिश्रा ने लिखा, ‘सावधान रहिए, सरकार के खिलाफ लिखने के लिए परमिशन नहीं लेने पर आपको जेल हो सकती है।’\

साकिब ख्वाजा ने लिखा, ‘इस प्रकार 2017 में भ्रष्टाचार को कानूनी दर्जा दे दिया गया था।’ एक यूजर ने लिखा, ‘मीडिया को कब तक नोट खिला खिला कर चुप रखोगे प्रत्येक खबर को सेंसर किया जा रहा है ये मीडिया नोट की भूखी हो गई है।’ टीके नाम के यूजर ने लिखा, ‘ मोदी कहते हैं न खाऊँगा, न खाने दूगाँ, लेकिन तुगलकी महारानी कहती हैं, ‘ खाऊँगी ,खाने भी दूँगी, और बचाऊंगी भी।’

 

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