वसुंधरा राजे सरकार झुकी, विवादित बिल प्रवर समिति को सौंपा

भ्रष्ट लोकसेवकों को बचाने वाले विवादित विधेयक पर भारी जनाक्रोश के आगे भाजपा सरकार को झुकना पड़ा। सरकार ने मंगलवार को भारी हंगामे के बाद विधानसभा में कहा कि विधेयक प्रवर समिति को सौंपा जाएगा। अब यह बिल संशोधन के साथ अगले सत्र में आएगा। इससे पहले विधानसभा में सरकार को अपने ही विधायक घनश्याम तिवाड़ी के साथ ही प्रतिपक्ष के तगडेÞ विरोध का सामना करना पड़ा। इनकी मांग थी कि प्रवर समिति को सौंपने के बजाय बिल को सरकार वापस ले। इस बिल के विरोध में जयपुर में पत्रकारों ने भी पैदल मार्च किया और गिरफ्तारियां दी। राज्य की चार साल पुरानी भाजपा की वसुंधरा सरकार के लिए आफत बना विवादित दंड प्रक्रिया संहिता संशोधन विधेयक -2017 अब प्रवर समिति के पास चला गया है। विधानसभा में भारी हंगामे के दौरान गृह मंत्री गुलाब चंद कटारिया ने इसकी घोषणा की। इसके बावजूद प्रतिपक्ष और विरोध करने वाले भाजपा के वरिष्ठ विधायक घनश्याम तिवाड़ी शांत नहीं हुए। उन्होंने इसे काला कानून बताते हुए इसे वापस लेने की मांग की। हंगामे के बीच ही गृह मंत्री कटारिया की अपने ही विधायक तिवाड़ी से तीखी नोंक झोंक भी हुई। हंगामे और नारेबाजी के कारण अध्यक्ष कैलाश मेघवाल ने सदन की कार्यवाही को दोपहर एक बजे तक स्थगित कर दिया था। इससे पहले गृह मंत्री कटारिया ने बताया कि बिल को लेकर हो रहे विरोध पर मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने वरिष्ठ मंत्रियों की बैठक बुलाई थी और इस पर फिर से विचार करने को कहा। इसको देखते हुए ही विधेयक को प्रवर समिति को सौंपा जा रहा है। इस दौरान भाजपा विधायक तिवाड़ी की गृह मंत्री से जमकर तूतू-मैंमैं हुई। तिवाड़ी ने सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि पहले थूका ही क्यों और फिर उसे चाटा क्यूं।
विधानसभा की कार्यवाही स्थगित होने के बाद भाजपा विधायक तिवाड़ी ने मुख्यमंत्री राजे पर तीखे हमले किए। उन्होंने कहा कि सरकार घबराहट में तो अध्यादेश लाई और उसी घबराहट में इसे प्रवर समिति को दे रही है। प्रतिपक्ष के नेता रामेश्वर डूडी और सचेतक गोविंद सिंह डोटासरा ने भी इसे वापस लेने की मांग की। संसदीय कार्य मंत्री राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि विधेयक को संशोधित रूप में प्रवर समिति फिर से तैयार करेगी। उनका कहना था कि सरकार की तरफ से जारी अध्यादेश अभी छह हफते तक रहेगा और उसके बाद वो खत्म हो जाएगा। गृह मंत्री कटारिया ने कहा कि इस विधेयक का अध्यादेश डेढ़ महीने पहले ही लाया गया था, तब तक किसी को भी इसकी याद नहीं आई और पहले कोई नहीं बोला। इसके बाद ही सदन में भारी हंगामा हो गया। सरकार के इस विधेयक के विरोध में वकीलों ने आज कार्य बहिष्कार किया।

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