पंचकूला हिंसा: मॉर्च्युरी में घनघना रहे 17 गुमनाम लाशों के मोबाइल, सबको मारी गई गोलियां
डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह को दुष्कर्म मामले में पंचकुला की सीबीआई अदालत द्वारा दोषी ठहराए जाने के बाद उनके नाराज भक्त हिंसा पर उतर आए। पंजाब व हरियाणा के कई हिस्सों में हिंसा फैल गई। समर्थकों को काबू में करने के लिए सुरक्षा बलों द्वारा की गई गोलीबारी में 30 लोगों की मौत हो गई। इसमें 200 से ज्यादा लोग घायल हो गए हैं। पंजाब के मनसा, बठिंडा, पटियाला, फजिल्का व फिरोजपुर शहरों में कर्फ्यू लगा दिया गया है। शुक्रवार (25 अगस्त) को हुई हिंसा में मरने वालों की लाशें पंचकूला सिविल अस्पताल में पड़ी हैं। उनकी जेबों में पड़े मोबाइल फोन्स बजे जा रहे हैं। हमारे सहयोगी अखबार, द इंडियन एक्सप्रेस को अस्पताल के सूत्रों ने बताया कि यहां पर 17 लाशें लाई गई हैं, जिनमें से एक की भी पहचान नहीं हो सकी है। सूत्र ने कहा कि इनमें से दो लाशें महिलाओं की हैं। सबसे युवा शव एक लड़के का है, 15 से 17 साल के बीच और सबसे बुजुर्ग शव 60 के दशक में जी रहे शख्स का है। सूत्रों के अनुसार, डॉक्टरों को कहा गया है कि वह बजते फोनों को न उठाएं क्योंकि इससे लोगों का ध्यान अस्पताल की तरफ हो जाएगा। डॉक्टर ने कहा, ”हम उनके मोबाइल फोन्स पर आने वाली कॉल्स सुबह अटेंड करेंगे।” पहचान गुप्त रखने की शर्त पर एक डॉक्टर ने कहा कि सभी 17 को गोली मारी गई थी। कुछ को पत्थरों से भी चोटें लगी थीं। डॉक्टर ने कहा, ”गर्दन, छाती और पीठ पर गोलियों के निशान हैं।” लाशों की पहचान होने के बाद उनका पोस्टमार्टम किया जाएगा। किसी भी पीड़ित के पास कोई पहचान पत्र नहीं मिला और ज्यादातर गांववाले कुर्ता पायजामा पहने हुए थे।
शाम 4.30 बजे के बाद से ही एम्बुलेंस लगातार घायलों को सेक्टर 6 स्थित सिविल अस्पताल लाती रहीं। जब पुलिस को इमरजेंसी वार्ड के बाहर भीड़ नियंत्रित करना मुश्किल लगने लगा, तो उन्होंने सबको बाहर कर गेट पर बैरिकेडिंग कर दी। यहां पर दो आईपीएस अफसरों समेत 50 पुलिसकर्मियों से ज्यादा भर्ती कराए गए हैं। 55 गंभीर रूप से घायलों को चंडीगढ़ रेफर किया गया है।
पंचकुला के निवासियों ने बताया कि भीड़ ने हमला किया और एक बेकरी व सिनेमा थिएटर व एक होटल में आग लगाने की कोशिश की और सैकड़ों कारों व दो पहिया वाहनों को आग लगा दी। निवासियों ने खुद को घरों में कैद कर लिया। शुरुआत में बड़ी भीड़ ने सुरक्षा बलों पर हमला कर उन्हें पीछे हटने को मजबूर कर दिया। इसके साथ ही पत्रकारों पर भी हमला किया गया। कुछ पत्रकारों ने लोगों के घरों में शरण ली। इसके बाद सुरक्षा बलों ने गोलीबारी की। इसमें 30 प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई।
प्रत्यक्षदर्शियों ने कहा कि सुरक्षा कर्मियों व मीडिया के लोगों सहित 200 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। कुछ लोगों के शरीर से खून बह रहा था व कुछ गोलियों से जख्मी सड़क पर पड़े थे। पंचकुला पूरी तरह से काले घुएं में डूब गया था।