कुमार विश्वास ने ठोका राज्यसभा जाने का दावा
आम आदमी पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक कुमार विश्वास ने गुरुवार को कहा कि उनकी पार्टी को उन्हें अपने कोटे से राज्यसभा में भेजना चाहिए। विश्वास का कहना है कि राज्यसभा संसद का उच्च सदन है और उनमें वह क्षमता है कि वे सदन में देश की जनता की आवाज पुरजोर तरीके से बुलंद कर सकते हैं। जनसत्ता बारादरी के मेहमान विश्वास ने एक सवाल के जवाब में कहा कि पार्टी में उनके कद के हिसाब से उन्हें किसी एक राज्य विशेष मात्र का प्रभार नहीं दिया जाना चाहिए था। पार्टी उनका इस्तेमाल राष्ट्रीय स्तर पर कर सकती है। इसके बावजूद राजस्थान का प्रभारी बनाए जाने के बाद वे वहां पर पार्टी खड़ी करने में पूरी ताकत लगा रहे हैं।
उन्होंने भरोसा जताया कि सूबे में होने वाले अगले विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी अच्छा प्रदर्शन करेगी। उन्होंने बड़ी साफगोई से स्वीकार किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनके निजी रिश्ते हैं लेकिन भाजपा में शामिल होने के सवाल को यह कहकर खारिज कर दिया कि वे राजनीति करेंगे तो आम आदमी पार्टी की करेंगे अथवा सियासत छोड़ देंगे। बारादरी की बैठक में कुमार ने यह भी कहा कि वे अमेठी में चुनाव नहीं लड़ना चाहते थे। लेकिन पार्टी पर कांग्रेस की बी टीम की तरह काम करने के आरोप लग रहे थे। इन आरोपों को खत्म करने के लिए पार्टी के दबाव के तहत उन्हें चुनाव लड़ना पड़ा।
कुमार विश्वास ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से अपने रिश्तों में आई खटास के सवाल पर कहा कि निजी रिश्तों की चर्चा सार्वजनिक मंच पर नहीं
होनी चाहिए। लेकिन यह सच है कि केजरीवाल से उनके रिश्तों में मिठास और तल्खी का सिलसिला आंदोलन के दिनों से ही चलता रहा है। उनका कहना है कि पार्टी में बाहर से आए कुछ पैराशूटर्स को उनकी बेबाकी पसंद नहीं आती। ‘बैक टू बेसिक्स’ का जो उन्होंने नारा दिया है, वह पसंद नहीं आता लेकिन इससे उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता। कुमार का यह भी कहना है कि सत्ता में आने के बाद आम आदमी पार्टी के तेवर और कलेवर में बदलाव आया है। आगामी नवंबर में पार्टी की स्थापना के पांच साल पूरे हो रहे हैं।
ऐसे में वे जरूर कोशिश करेंगे कि इस दरम्यान पीछे छूट गए लोगों को, बिछड़ गए लोगों को पार्टी से जोड़ें।
पंजाब में चुनावी हार के सवाल पर कुमार विश्वास ने स्वीकार किया कि गलतियां हुर्इं, इसलिए हमलोग चुनाव हारे। लेकिन उन्होंने पंजाब की चुनावी हार के बावजूद पार्टी के अन्य राज्यों में विस्तार की योजना को उचित ठहराया और कहा कि अगर हमलोग पंजाब जीत गए होते तो आज यह सवाल ही नहीं होता।