मोदी सरकार ने वापस लिया अडानी समूह को भेजा नोटिस, महंगा इंपोर्ट दिखाने का था आरोप
राजस्व-आसूचना निदेशालय (डीआरआई) के न्यायिक प्राधिकारी, केवीएस सिंह ने अडानी समूह की फर्म को भेजे गए दूसरे कारण बताओ नोटिस को रद्द कर दिया है। समूह पर आयातित ऊर्जा उपकरण को 380 फीसदी महंगा दिखाने का आरोप था। मामले में अडानी एंटरप्राइजेज की महाराष्ट्र ईस्टर्न ग्रिड पावर ट्रांसमिशन कंपनी लि. (MEGPTCL), इलेक्ट्रोजेन इंफ्रा FZE, UAE (EIF) और अहमदाबाद की पीएमसी प्रोजेक्ट्स (भारत) प्राइवेट लि पर ऊर्जा व इंफ्रास्ट्रक्चर मद में आयात सामन की घोषित वैल्यू को 1,493.4 करोड़ रुपये तक बढ़ाने का आरोप था। 18 अक्टूबर को दिए आदेश में सिंह ने कहा, ”मैं MEGPTCL, PMC, EIF, विनोद शांतिलाल अडानी…” के खिलाफ शुरू की जांच बंद करता हूं। हमारे सहयोगी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस ने अडानी समूह से फोन व ईमेल के जरिए प्रतिक्रिया लेनी चाही मगर जवाब नहीं मिला।
22 अगस्त को द इंडियन एक्सप्रेस ने रिपोर्ट किया था कि न्यायिक प्राधिकरण ने डीआरआई द्वारा अडानी समूह की दो अन्य फर्मों के खिलाफ जारी कारण बताओ नोटिस रद्द कर दिया था। उसमें आयातित सामान की कुल घोषित वैल्यू बढ़ाकर 3,974 करोड़ रुपये बताई गई थी। हालिया 293 पन्नों के आदेश के साथ ही 2014 में डीआरआई द्वारा अडानी समूह पर लगाए गए 5,467 करोड़ रुपये के आरोप खारिज कर दिए गए हैं। रकम के आधार पर अडानी ग्रुप के खिलाफ लगे आरोप एजंसी में आया अब तक का सबसे बड़ा मामला है।
सूत्रों ने बताया कि अगस्त के आदेश के खिलाफ डीआरआई अपील फाइल करने की प्रक्रिया में है। डीआरआई नोटिस में आरोप लगाया था कि MEGPTCL ने पीएमसी प्रोजेक्ट्स के जरिए 1,493.84 करोड़ रुपये का ‘अतिरिक्त प्रेषण’ किया। आरोप था कि सामान तो चीन और दक्षिण कोरिया के मूल उत्पादकों से भारत पहुंच रहा है मगर कागजातों में संयुक्त अरब अमीरात के जरिए राउट किया गए और रुपये भी उसी रास्ते भेजे गए।
डीआरआई ने अपने नोटिस में कहा था कि मॉरीशस की जिस कंपनी, इलेक्ट्रोजेन इंफ्रा होल्डिंग्स के जरिए पैसा इधर-उधर किया गया, उस विनोद शांतिलाल शाह उर्फ विनोद शांतिलाल अडानी के द्वारा ‘नियंत्रित’ की जाती है। विनोद अडानी बंधुओं में सबसे बड़े हैं।