जीजा 22 साल से हैं कांग्रेसी सीएम पर साला-सरहज सभी भाजपाई! सीएम के गढ़ से ठोक रहे ताल

हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को प्रदेश का सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने का गौरव प्राप्त है। उन्होंने पांच बार करीब 22 साल तक राज्य के मुखिया की जिम्मेदारी संभाली है। सबसे पहले वो 8 अप्रैल 1983 को राज्य के मुख्यमंत्री बने थे। बावजूद इसके उनके ससुराल के लोगों का झुकाव भाजपा की तरफ है। अमूमन राजनेताओं का झुकाव अपने ससुराल की तरफ होता है मगर वीरभद्र सिंह की निष्क्रियता की वजह से उनका पूरा ससुराल आज भाजपाई है। वीरभद्र सिंह की पत्नी का नाम प्रतिभा सिंह है। उनके दो भाई हैं। बड़े भाई का नाम वीर विक्रम सेन है और छोटे भाई का नाम पृथ्वी विक्रम सेन। सभी राजघराने से ताल्लुक रखते हैं।

अब इसे राजघरानों का सियासी टकराव कहा जाए या फिर मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की रणनीति कि उन्होंने कभी भी सालों को कांग्रेस में हावी होने नहीं दिया क्योंकि शुरुआती दौर में उनके दोनों साले कांग्रेसी ही थे। मगर ज्यादा तवज्जो नहीं मिलने से खिन्न होकर बड़े साले वीर विक्रम सेन ने पिछले विधान सभा चुनाव 2012 में अपनी पत्नी विजय ज्योति सेन को वीरभद्र सिंह की इच्छा के खिलाफ यानी बगावती तेवर दिखाते हुए शिमला के कुसुम्पटी निर्वाचन क्षेत्र से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतार दिया। हालांकि, वो चुनाव हार गईं मगर उन्होंने करीब साढ़े छह हजार वोट हासिल किए।

साल 2012 के विधान सभा चुनाव में बगावत करने के बावजूद सीएम के साले वीर विक्रम सेन को कांग्रेस से नहीं निकाला गया। वह कुसुम्पटी ब्लॉक के कांग्रेस अध्यक्ष बने रहे मगर पार्टी की बैठकों में उन्हें उचित सम्मान नहीं मिलने लगा। इससे खिन्न होकर उन्होंने पार्टी की बैठकों में जाना छोड़ दिया। हाल ही में उन्होंने भाजपा के साथ नजदीकी बढ़ाई है।

सीएम वीरभद्र सिंह के छोटे साले पृथ्वी विक्रम सेन भी कांग्रेस में अपेक्षित महसूस करने पर साल 2015 में ही भाजपा में शामिल हो चुके हैं। सूत्र बताते हैं कि सीएम वीरभद्र सिंह उनकी भी नहीं सुनते थे। लिहाजा, पृथ्वी विक्रम सेन भाजपा की तरफ से कुसुम्पटी विधान सभा क्षेत्र के दावेदार थे मगर ऐन वक्त पर भाजपा ने उनकी भाभी विजय ज्योति सेन को कुसुम्पटी से उम्मीदवार बनाया है। चूंकि विजय ज्योति सेन 2012 में वहां से चुनाव लड़ चुकी हैं, इसलिए पार्टी ने उन पर भरोसा किया है।

इससे नाराज पृथ्वी विक्रम सेन ने वहां से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर नामांकन भर दिया और अपनी भाभी के खिलाफ ही ताल ठोक दिया। लेकिन काफी मान मनौव्वल के बाद पार्टी ने पृथ्वी विक्रम सेन को मना लिया है। उन्होंने अपना नामांकन वापस ले लिया है और भाभी का चुनाव प्रचार कर रहे हैं। यानी सीएम वीरभद्र सिंह का पूरा ससुराल भाजपाई हो गया है।

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