दिवाली मिलन पर बोले पीएम मोदी- राजनैतिक दलों की कई चीजें मीडिया में सार्वजनिक हो गई हैं

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को राजनीतिक दलों में आंतरिक लोकतंत्र पर चर्चा का आह्नवाहन किया और कहा कि देश के भविष्य के लिए पार्टियों के भीतर सच्ची लोकतांत्रिक भावना का विकास आवश्यक है। मोदी ने ये टिप्पणियां भाजपा मुख्यालय में आयोजित दिवाली मिलन कार्यक्रम में मीडिया को संबोधित करते हुए कीं। उन्होंने कहा कि राजनीतिक दलों की फडिंग पर अक्सर चर्चा होती है, लेकिन उनके मूल्यों, विचारधारा, आतंरिक लोकतंत्र और वह नई पीढ़ी के नेताओं को किस तरह अवसर प्रदान करती हैं, इस बारे में चर्चा नहीं होती।

प्रधानमंत्री ने कहा कि देश पार्टियों के भीतर लोकतंत्र को लेकर ज्यादा अवगत नहीं है और मीडिया को इस पर ध्यान देना चाहिए। मोदी ने कहा, ‘‘लोकतांत्रिक मूल्य उनके (पार्टियों के) मूलभूत मूल्य हैं या नहीं, इस बारे में व्यापक चर्चा होनी चाहिए। मेरा मानना है कि राजनीतिक दलों के भीतर सच्ची लोकतांत्रिक भावना का विकास न सिर्फ देश के भविष्य के लिए, बल्कि लोकतंत्र के लिए भी आवश्यक है।’’ हालांकि प्रधानमंत्री ने किसी प्रतिद्वंद्वी पार्टी का नाम नहीं लिया, लेकिन उनकी टिप्पणियां इन खबरों की पृष्ठभूमि से संबंधित हो सकती हैं कि कांग्रेस अपने उपाध्यक्ष राहुल गांधी को पदोन्नत कर सोनिया गांधी की जगह अध्यक्ष बना सकती है।

कांग्रेस पर भाजपा अक्सर वंशवाद की राजनीति अपनाने का आरोप लगाती रही है और खुद को यह कहकर एक अलग पार्टी बताती रही है कि उसके कार्यकर्ता शीर्ष पदों पर पहुंचे हैं। मोदी ने यह भी माना कि भाजपा के भीतर कई तरह की आवाज हैं। उन्होंने रेखांकित किया कि जनसंघ के समय जब यह छोटा संगठन था तब केंद्रीय नेतृत्व से लेकर सतही कार्यकर्ताओं तक विचारधारात्मक सामंजस्य हुआ करता था।उन्होंने कहा कि भिन्न विचारों के कारण पार्टी का विस्तार हो सकता है।

मोदी ने कहा कि कुछ व्यावहारिक समस्याएं हैं, जिस वजह से वह अमूमन मीडिया से मिल नहीं पाते। मोदी ने भाजपा के दिवाली मिलन कार्यक्रम में संवाददाताओं से कहा, “दोनों तरफ से उम्मीदें हैं। दोनों तरफ से शिकायतें हैं। लेकिन मुझे लगता है कि यह हमारी पेशेवर दिक्कत है। हमें आगे बढ़ने के लिए बीच का रास्ता निकालने की जरूरत है।” उन्होंने कहा, “मुझे याद है कि मैं किस तरह आपके साथ समय बिताता था। आप में से अधिकांश एक ही पीढ़ी से हैं। बीती यादों में खोना स्वाभाविक है, उस समय कोई बाधा या मुश्किल नहीं थी। वे दिन थे, जब हम आपकी तलाश करते थे और मेरे भाषणों को मीडिया में थोड़ा बहुत स्थान मिलता था।”

उन्होंने कहा कि पहले की तुलना में मीडिया का अब इतना विस्तार हुआ है कि सभी पत्रकारों से मिलना मुश्किल है। उन्होंने कहा, “आप में से कुछ कहते हैं कि मोदी जी आप हमसे नहीं मिलते। पहले हम आपसे मिलते थे, दरवाजा खटखटाते थे और अंदर घुस जाते थे। वह खुशी का अलग माहौल था। हम बहुत बातें करते थे, लेकिन आज यह मुश्किल हो गया है। उन्होंने कहा कि एक-दूसरे को समझने से संबंध और आपसी विश्वास मजबूत हुआ है। मोदी ने कहा, “मेरा अनुभव कहता है कि हर कोई अपने कर्तव्यों का निर्वाह कर रहा है, लेकिन अनौपचारिक रूप से हर किसी के पास देश को योगदान देने के लिए कुछ न कुछ है। पत्रकार हमें बाधाओं के बारे में बताते हैं। हमें बताते हैं कि हममें सुधार की कहां गुंजाइश है। आप लोग बहुत यात्रा करते हैं।”

 

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