अनदेखा न करें जोड़ों के दर्द को
जोड़ों का दर्द एक गंभीर समस्या है। इसके बारे में कहा जाता है कि अगर यह बीमारी एक बार लग जाए तो फिर इससे पीछा नहीं छूट पाता। इसकी अनदेखी काफी महंगी पड़ती है। अगर तत्काल सही इलाज न कराया जाए तो जोड़ों का दर्द आगे चल कर गठिया का रूप ले लेता है, जो गंभीर और एक तरह की लाइलाज बीमारी है। बिगड़ती जीवनशैली, खानपान, तनावपूर्ण कामकाजी माहौल जोड़ों के दर्द का बड़ा कारण हैं। हालांकि इसके कई और भी कारण हैं। लगातार कई घंटों तक एक ही कुर्सी और कंप्यूटर के आगे बैठने से भी शरीर के जोड़ अकड़ जाते हैं। ऐसा नहीं कि जोड़ों का दर्द केवल घुटनों में होता हो, यह शरीर में हड्डियों के जोड़ों में कहीं भी पनप सकता है और बढ़ने पर यही गठिया बन जाता है।
जोड़ों का दर्द किसी भी उम्र में हो सकता है। आयुर्वेद के अनुसार गठिया या जोड़ों में दर्द शरीर में वात की वृद्धि से होता है। शरीर में वायु अधिक होने से हड्डियों पर बुरा असर पड़ता है। इसके अलावा पेट में पुरानी आंव (चिकना मल) इस रोग का बड़ा कारण है। इसलिए इसे आमवात भी कहते हैं, जो गठिया ही है। आंव पेट खराब होने यानी अपच से बनती है।
लक्षण
अगर चलने-फिरने, खड़े होने, हिलने-डुलने, यहां तक कि आराम करते समय भी हड्डियों में दर्द महसूस होता है, तो इसे गठिया की शुरुआत मानना चाहिए। अगर हड्डियां कमजोर होती हैं, तो सर्दी के मौसम में यह दर्द ज्यादा होता है। उम्रदराज लोगों को यह समस्या सबसे ज्यादा इसलिए होती है, क्योंकि उम्र बढ़ने के साथ हड्डियों का घनत्व कम हो जाता है। हड्डियां कमजोर होने लगती हैं और जोड़ों के बीच की चिकनाहट खत्म सी हो जाती है और फिर इस खाली जगह में और हड्डियों के अतिसूक्ष्म छिद्रों में वायु घुस जाती है और इसी से जोड़ों में सूजन की शुरुआत होती है।
दूसरी वजह यह है कि सर्दी के मौसम में जैसे-जैसे तापमान कम होता जाता है, रक्तवाहिनियां सिकुड़ने लगती हैं और उस हिस्से में खून का तापमान कम होने लगता है। इसके कारण जोड़ सिकुड़ने लगते हैं और दर्द बढ़ जाता है। ठंड में दिल के आसपास रक्त की गरमाहट बनाए रखने के लिए शरीर के अन्य अंगों में रक्त की आपूर्ति कम हो जाती है, जिसका नतीजा होता है जोड़ों में दर्द। गठिया को ही आर्थराइटिस कहते हैं। यह कई तरह का होता है। जैसे- आॅस्टियो आर्थराइटिस, रूमेटॉइड आर्थराइटिस, सोराइटिक आर्थराइटिस, पोलिमायल्गिया रूमेटिका, एंकायलॉजिंग स्पोंडिलाइटिस, थ्रोएक्टिव आर्थराइटिस, गाउट, सिउडोगाउट, पोलिमायोसाइटिस आदि। लेकिन सबसे ज्यादा हिला देने वाला दर्द रूमेटाइड और आॅस्टियो आर्थराइटिस में होता है।
बचाव
धूप सेकें : सर्दी के मौसम में सुबह की गुनगुनी धूप का सेवन करना चाहिए। इसमें सबसे ज्यादा विटामिन डी होता है, जो कमर दर्द और जोड़ों के दर्द से आराम दिलाता है।
खानपान पर ध्यान दें : हमेशा खानपान ऐसा रखें, जो पौष्टिक हो। जोड़ों के दर्द से ग्रस्त मरीजों को कभी भी गरिष्ठ भोजन नहीं करना चाहिए। शरीर में वायु करने वाली चीजें जैसे काबुली चने, राजमा, चावल, गोभी और फलियां नहीं खानी चाहिए। हमेशा हल्का और आसानी से पचने वाला भोजन ही करें। रात में दही का सेवन बिल्कुल न करें। शाम का भोजन जल्दी कर लेना चाहिए। विटामिन डी और अन्य विटामिनों के लिए मछली और डेयरी उत्पाद, अंडे, सोयाबीन, दलिया, साबुत अनाज, दाल और मूंगफली को भी अपने आहार में शामिल कर सकते हैं। जोड़ों के दर्द से आराम के लिए फल खाएं, पानी खूब पीएं।
ठंडी चीजों का इस्तेमाल न करें : जोड़ों में दर्द वालों के लिए ठंडी चीजें विष के समान हैं। फ्रिज में रखी चीजों, ठंडा पानी, आइसक्रीम, शीतल पेय जैसी चीजें बिल्कुल इस्तेमाल नहीं करनी चाहिए। ये दर्द को तेजी से बढ़ाती है।
देर तक न जागें : गठिया जैसी बीमारी से पीड़ित लोगों को रात में देर तक नहीं जगना चाहिए। देर तक जगने से शरीर में वात में वृद्धि होती है और इससे दर्द और तेज होता है। इसलिए समय से सोना और भोजन करना बहुत जरूरी है।
योग करें : जोड़ों के दर्द से निपटने में योग बड़ा कारगर है। कई आसन हैं, जैसे- गिद्धासन और प्राणायाम। नियमित रूप से व्यायाम को अपनी दिनचर्या में शामिल कीजिए। सुबह के वक्त व्यायाम और योग करना फायदेमंद है।
यूरिक एसिड है बड़ी समस्या : गठिया के मरीज में अगर यूरिक एसिड बढ़ जाता है तो यह जोड़ों, पैर के अंगूठों, एड़ी, टखने, घुटने या फिर हाथ के अंगूठे को भी प्रभावित करता है। तनाव, ज्यादा शराब पीने, भूख मारते रहने, आलसी जीवन, शरीर में पानी की कमी और रेड मीट, सी फूड के अत्यधिक सेवन और दर्द निवारक दवाइयां ज्यादा लेने से यूरिक एसिड बढ़ सकता है।
एंटीआक्सीडेंट युक्त भोजन लें : लाल शिमला मिर्च, टमाटर, ब्लूबेरी, ब्रोकली और अंगूर आदि एंटीआक्सीडेंट विटामिन का अच्छा स्रोत हैं। इनसे शरीर में यूरिक एसिड का स्तर कम होने लगता है।
जैतून का तेल : खाने में जैतून के तेल का इस्तेमाल करें। जैतून का तेल शरीर में अतिरिक्त यूरिक एसिड नहीं बनता है और यह दिल के लिए भी काफी फायदेमंद है। इसके अलावा भरपूर मात्रा में विटामिन सी लें। ल्ल