सेना से पुराने हथियारों की होगी छुट्टी, जल्द नए हथियार चाहती है मोदी सरकार
सेना ने अपने आधुनिकीकरण के लिए सबसे बड़ी खरीद योजनाओं में से एक को अंतिम रूप दे दिया है। इसके तहत बड़ी संख्या में हल्की मशीन गन, कार्बाइन और असॉल्ट राइफलों को करीब 40,000 करोड़ रूपये की लागत से खरीदा जा रहा है। नए हथियार पुराने और चलन से बाहर हो चुके हथियारों की जगह लेंगे। आधिकारिक सूत्रों ने पीटीआई-भाषा को बताया कि करीब सात लाख राइफल, 44,000 लाइट मशीन गन (एलएमजी) और करीब 44,600 कार्बाइन की खरीद की विस्तृत प्रक्रिया को अंतिम रूप दे दिया गया है। खरीद प्रक्रिया पर आगे बढ़ने में रक्षा मंत्रालय और सेना मिलकर काम कर रहे हैं।
विश्व की दूसरी सबसे बड़ी पैदल सेना पाकिस्तान और चीन के साथ सीमा पर तनाव समेत बढ़ते सुरक्षा संबंधी खतरों के मद्देनजर विभिन्न हथियार प्रणालियों की जल्द से जल्द खरीदारी करना चाह रही है। खरीदारी प्रक्रिया शुरू करने के साथ ही सरकार ने रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) को यह संदेश भेजा है कि वह विभिन्न छोटे हथियारों खासकर हल्की मशीन गन पर अपने काम में तेजी लाए। सूत्रों ने बताया कि एलएमजी की खरीदारी के लिए ताजा ‘जानकारी का अनुरोध’ (आरएफआई) अगले कुछ दिनों में जारी कर दिया जाएगा। कुछ ही महीने पहले रक्षा मंत्रालय ने 7.62 कैलिबर के तोप की निविदा रद्द कर दी थी क्योंकि कई फील्ड ट्रायल के बाद इसका इकलौता विक्रेता ही बचा था। योजना शुरुआत में करीब 10,000 एलएमजी की खरीद की है।
सेना ने नई 7.62 मिमी असॉल्ट राइफल की विशेषताओं को भी अंतिम रूप दे दिया है और ऐसी उम्मीद है कि खरीद संबंधी फैसला लेने वाली रक्षा मंत्रालय की सर्वोच्च संस्था रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) बहुप्रतिक्षित खरीद को जल्द ही मंजूरी दे देगी। खरीद प्रक्रिया में शामिल एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘ नई असॉल्ट राइफल के लिए ‘जनरल र्सिवस क्वालिटी रिक्वायरमेंट्स’ (जीएसक्यूआर) को अंतिम रूप दे दिया गया है। खरीदारी योजना को मंजूरी के लिए जल्द ही डीएसी के पास भेजा जाएगा।’’ ईशापुर की सरकारी राइफल फैक्टरी में निर्मित असॉल्ट राइफल को जून में सेना ने अस्वीकार कर दिया था। ये गनें फायंिरग परीक्षण में बुरी तरह नाकाम रही थी।
असॉल्ट राइफलों की खरीदारी में विभिन्न कारणों से देरी हुई जिसमें इसकी विशेषताओं को अंतिम रूप देने में सेना की नाकामी भी शामिल है। सेना को अपनी इन्सास राइफलों की जगह लेने के लिए 7.6७51 मिलीमीटर की करीब सात लाख असॉल्ट राइफलों की जरूरत है। सेना ने पिछले वर्ष सितंबर में राइफलों के लिए सूचना का अनुरोध (आरएफआई) जारी किया था और इस पर करीब 20 कंपनियों ने दिलचस्पी दिखाई थी। आरएफआई एक ऐसी प्रक्रिया है जिसका उद्देश्य विभिन्न विक्रेताओं की क्षमताओं के बारे में जानकारी जुटाना होता है। जून माह में सेना ने करीब 44,600 कार्बाइन की खरीदारी की शुरुआती प्रक्रिया प्रारंभ की थी। इकलौते विक्रेता के रह जाने पर आठ महीने पहले निविदा रद्द कर दी गई थी।