देवउठनी एकादशी 2017 पूजा विधि: जानिए किस विधि से माता तुलसी का विवाह करना आपके लिए हो सकता

देव उठनी एकादशी को प्रबोधनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस एकादशी के दिन व्रत करने से सभी तरह के पापों से मुक्ति मिल जाती है। वैसे तो सभी एकादशी का व्रत करने से भी पापों से मुक्ति मिलती है, लेकिन कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष के एकादशी के व्रत का पुण्य राजसूय यज्ञ के पुण्य प्राप्ति से अधिक माना जाता है। इसलिए इस एकादशी का महत्व अधिक होता है। इस दिन के लिए वैसे तो अनेक कथाएं प्रचलित हैं लेकिन एक मान्यता अनुसार माना जाता है कि आषाढ़ की एकादशी के दिन भगवान विष्णु सहित सभी देवता क्षीरसागर में जाकर सो जाते हैं। इसके साथ जुड़ी मान्यता है कि इन दिनों पूजा-पाठ और दान-पुण्य के कार्य किए जाते हैं। किसी तरह का शुभ कार्य जैसे शादी, मुंडन, नामकरण संस्कार आदि नहीं किए जाते हैं।

देवउठनी एकादशी पूजा विधि-
रोजाना तुलसी के पौधे को जल चढ़ाएं और उसके आगे दीया-बाती अवश्य करें। एकादशी के दिन शुभ मुहूर्त देखकर तुलसी के विवाह के लिए मंडप सजाएं। गन्नों को मंडप के चारों तरफ खड़ा करें और नया पीले रंग का कपड़ा लेकर मंडप बनाए। इसके बीच हवन कुंड रखें। मंडप के चारों तरफ तोरण सजाएं। इसके बाद तुलसी के साथ आंवले का गमला लगाएं। तुलसी का पंचामृत से पूजा करें। इसके बाद तुलसी की दशाक्षरी मंत्र से पूजा करें।

दशाक्षरी मंत्र– श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं वृन्दावन्यै स्वाहा।
ऊं श्री तुलस्यै विद्महे।
विष्णु प्रियायै धीमहि।
तन्नो वृन्दा प्रचोदयात्।।
इसके बाद घी के दीपक से पूजा करें और सिंदूर, रोली, चंदन चढ़ाएं। पश्चात तुलसी को वस्त्र चढ़ाएं और तुलसी के चारों ओर दीपदान करें। मान्यता है कि इस दिन तुलसी माता का पूजन करने से घर से नकारात्मक शक्तियां चली जाती हैं और साथ ही इसके सुख-समृद्धि का प्रवास हमेशा रहता है।

देवउठनी एकादशी पूजा सामाग्री-
– गंगा जल,
– शुद्ध मिट्टी,
– हल्दी,
– कुमकुम,
– अक्षत,
– लाल वस्त्र,
– कपूर, पान,
– घी,
– सुपारी,
– रौली,
– दूध,
– दही,
– शहद,
– फल,
– चीनी,
– फूल,
– गन्ना,
– हवन सामाग्री,
– तुलसी पौधा,
– विष्णु प्रतिमा।

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