अब धूमल को आगे कर लड़ेगा कमल

संजय शर्मा
जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव करीब आ रहे हैं, राजनीतिक दलों के प्रत्याशियों के प्रचार-प्रसार में तेजी आ रही है। कहीं वाकयुद्घ तो कहीं पर नुक्कड़ जनसभाओं के जरिए एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाने का दौर जोर पकड़ रहा है। भाजपा इलैक्ट्रॉनिक प्रचार-में कांग्रेस से दो कदम आगे दिखती है।
रेडियो और टीवी पर भाजपा के पक्ष में आते विज्ञापनों में प्रदेश में कांग्रेस सरकार की विफलता और भाजपा के डाक्यूमेंट विजन की विशेषता को उभारा जा रहा है। भाजपा के प्रचार में अब जबरदस्त तेजी दिखेगी। मंगलवार को भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने पार्टी के सत्ता में आने पर मुख्यमंत्री के तौर पर प्रेमकुमार धूमल के नाम की घोषणा कर दी है।

निश्चित तौर पर धूमल अब निशिंत होकर धुआंधार प्रचार कर सकेंगे। भाजपा के प्रचार में अब तक केंद्र सरकार की उपलब्धियों को बताया जा रहा है। अब पूर्व धूमल सरकार की उपलब्धियां भी लोगों तक पहुंचाई जाएगी। भाजपा के लोग नरेंद्र मोदी और हिमाचल को एक दूसरे का पर्याय भी बताते रहे हैं। इन सब का प्रदेश भाजपा को कही न कहीं फायदा मिल रहा था। मंडी में जब कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने जीत के बाद वीरभद्र सिंह को मुख्यमंत्री के तौर पर पेश किया तो भाजपा में भी नाम घोषित करने की मांग अंदर ही अंदर उठने लगी। अब शाह ने जब धूमल का नाम घोषित कर दिया है तो पार्टी में कम से कम इस मुद्दों पर दुविधा जैसी स्थिति नहीं रहेगी।

लोकसभा चुनाव के दौरान मोदी ने प्रदेश के लोगों से यहां से भाजपा के चारों प्रत्याशियों को जिताकर संसद भेजने की अपील करते हुए प्रदेश में नई योजनाओं का सूत्रपात करने का भरोसा दिलाया था। उसी कड़ी में बिलासपुर में एम्स का शिलान्यास, राष्ट्रीय राजमार्गों के लिए बजट की घोषणा और रेलवे के स्तारीकरण के लिए सर्वे का काम भी शुरू हो चुका है। प्रदेश में कांग्रेस सरकार ने विकास के लिए बेहतर कार्य करने के दावे किए है। चुनावी वर्ष के दौरान जिस तरह से रोजगार के अवसरों का सृजन किया गया और हर वर्ग के हितों के ख्याल के लिए कदम उठाने की बातें भी चर्चा में रहीं। गुड़िया केस, होशियार सिंह हत्याकांड, मुख्यमंत्री का आरोपों से घिरना और प्रदेश के पुलिस अधिकारियों का कई मामलों में जेल जाना प्रदेश की राजनीति में कई यक्ष प्रश्न छोड़ गया है। ऐसे में भाजपा प्रत्याशी जहां मोदी सरकार से प्रदेश की तकदीर बदलने के दावे कर रहे हैं वहीं प्रदेश कांग्रेस सरकार की प्रमुख नाकामियों को मुद्दा बनाए हुए हैं। देखने में आया है कि लोग उस बात को लेकर निगाहे लगाए बैठें हैं कि अगर प्रदेश में भाजपा सत्ता में लौटती है तो केंद्र की मोदी सरकार से इस पहाड़ी प्रदेश की तकदीर बदले जाने की उम्मीदें सिरे चढ़ सकती हैं।

तर्क दिया जा रहा है कि निर्दलीय विधायक अपने हलके का विकास कराने के लिए प्रदेश कांग्रेस का दामन थाम सकते हैं। प्रदेश में विस्तृत योजनाओं और आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करने के लिए केंद्र में पहली बार प्रधानमंत्री बने नरेंद्र मोदी की सरकार को क्यों न आजमाया जाए। इसी बात को लेकर भाजपा नेता भी वोटरों को लुभाने में पीछे नहीं हटते दिख रहे हैं इन्हीं बातों को लेकर भाजपा ने उन हलकों में ज्यादा तवज्जो दी है जहां से सीटों की खासी आमद विधानसभा के लिए रहती है। जिले में इन्हीं बातों को लेकर भी कई चर्चाएं सुनने को मिल रही हैं।

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