बाबा रामदेव की पतंजलि को 4500 एकड़ जमीन देने पर कोर्ट ने मांगा जवाब, प्लॉट पर अभी कुछ नहीं करने का ऑर्डर
स्वामी रामदेव से जुड़ी पतंजलि योग लिमिटेड को नोएडा में ‘फूड पार्क’ स्थापित करने के लिए दी गई 4,500 एकड़ जमीन पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने यथास्थिति बरकरार रखने के आदेश दिए हैं। मंगलवार को हाई कोर्ट ने यमुना एक्सप्रेसवे अथॉरिटी से पूछा कि क्या फूड पार्क स्थापित करने के लिए रामदेव, उनके किसी सहयोगी या उनकी कंपनी को परोक्ष-अपरोक्ष रूप से जमीन आवंटित की गई थी? अदालत ने अथॉरिटी को एक दिन का समय देते हुए कहा कि इस मामले पर बुधवार को सुनवाई की जाएगी। असफ खान नाम के व्यक्ति ने हाई कोर्ट में याचिका डालकर पतंजलि को जमीन आवंटन पर सवाल उठाए थे। याचिका में कहा गया था कि इस जमीन पर लगे 600 पेड़ काटे जाने से पर्यावरण को नुकसान पहुंचेगा। हाई कोर्ट की ओर से इस जमीन पर किसी भी तरह का निर्माण करने पर पहले ही रोक लगाई जा चुकी है।
इस मामले में सरकार व यमुना एक्सप्रेसवे अथॉरिटी की तरफ से परस्पर विरोधाभासी दावे किये जाने से रोचकता आई है। यूपी सरकार का कहना है कि अथॉरिटी के अधिकारियों ने इस जमीन से करीब 300 पेड़ काट दिए हैं, जबकि अथॉरिटी का कहना है कि उन्होंने कोई पेड़ नहीं काटा। यूपी सरकार की तरफ से गौतम बुद्ध नगर (नोएडा) के जिलाधिकारी ने हलफनामा दायर करके कहा कि उन्होंने मौके पर जाकर देखा कि कुछ हरे पौधे जो हाल ही में लगाए गए थे, उन्हें उखाड़ा गया है। अदालत ने डीएम की यह दलील उन तस्वीरों का हवाला देकर खारिज कर दी जिसके काफी बड़े पेड़ दिखायी दे रहे थे।
अदालत में दायर की गये पूरक हलफनामे में जेसीबी मशीन की मदद से पेड़ उखाड़े जाते दिख रहे हैं। 29 अगस्त को यमुना एक्सप्रेसवे अथॉरिटी ने अदालत से कहा था कि अगर विवादित जमीन पर पेड़ उखाड़े भी गए हैं, तो इसके ये अथॉरिटी के निर्देश पर नहीं किया गया है। जस्टिस तरुण अग्रवाल और जस्टिस अजय भनोट की खंडपीड ने मामले पर सुनवाई के दौरान कहा कि मामले को ढकने की कोशिश की जा रही है।
पतंजलि ने बतौर ब्रांड भारतीय बाजार में अच्छी-खासी पैठ बना ली है। इसी साल मई में, रामदेव ने बताया था कि पतंजलि का टर्नओवर 10,561 करोड़ रुपए रहा है और मुनाफा 100 फीसदी की दर से बढ़ रहा है।