गुजरात चुनाव: भाजपा वाली पांच सीटों पर पांच साल में इतने ज्यादा बढ़ गए वोटर्स की विशेषज्ञों को हो रहा शक
गुजरात चुनाव आयोग द्वारा आगामी विधान सभा चुनाव के लिए तैयार की गयी मतदाता सूची में कुछ सीटों पर मतदाताओं की संख्या में असमान्य बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। साल 2012 में हुए विधान सभा चुनाव की मतदाता सूची की तुलना में सूरत के कामरेज विधान सभा सीट पर मतदाताओं की संख्या में करीब 40 फीसदी की बढ़ोतरी हो गई है। राज्य में करीब 18 विधान सभा सीटों पर वोटरों की संख्या में 20 प्रतिशत या उससे ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है। चुनाव आयोग द्वारा 25 सितंबर को सार्वजनिक की गयी मतदाता सूची के अनुसार कच्छ, मेहसाणा, साबरकंठा, गांधीनगर, अहमदाबाद, राजकोट, जामनगर, आनंद और सूरत जिलों की विधान सभा सीटों के मतदाताओं की संख्या में काफी अधिक बढ़ोतरी हुई है। राज्य में नौ दिसंबर और 14 दिसंबर को मतदान होगा। नतीजे 18 दिसंबर को आएंगे।
पिछले पांच सालों में सबसे ज्यादा करीब 40 प्रतिशत वोटर कामरेज सीट पर बढ़े हैं। साल 2012 में इस सीट पर करीब 3.04 लाख वोटर थे जबकि इस साल सूची में 4.26 लाख मतदाताओं के नाम हैं। कामरेज सीट के लिए नौ दिसंबर को मतदान होना है। कामरेज के अलावा सूरत के चोरयासी और ओलपाद विधान सीटों के मतदाताओं में क्रमशः 36 और 33 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है। वहीं सूरत की ही सूरत पूर्वी और सूरत उत्तरी सीट पर मतदाताओं की संख्या में क्रमशः 5.27 प्रतिशत और 3.17 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। गुजरात में पांच साल पहले की तुलना में करीब 14 प्रतिशत वोटर बढ़े हैं। चुनाव आयोग अभी मतदाता सूची में नाम शामिल करने के लिए अभियान चला रहा है इसलिए माना जा रहा है कि अगले एक पखवाड़े में वोटरों की संख्या में और बढ़ोतरी होगी। चुनाव आयोग ने मतदाता सूची में नाम शामिल कराने की अंतिम तारीख 16 नवंबर तय की है।
वोटरों की संख्या बढ़ने के मामले में तीसरे स्थान पर राजकोट (ग्रामीण) विधान सभा सीट है जहां मतदाताओं की संख्या में करीब 33 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है। साल 2012 में इस सीट पर कुल 2.24 लाख मतदाता थे। इस साल यहां मतदाताओं की संख्या 2.98 लाख है। पिछले साल इस सीट से बीजेपी के भानुबेन बाबरिया ने जीत हासिल की थी। इसी तरह वटवा विधान सभा सीट पर साल 2012 में करीब 2.30 लाख वोटर थे। वहीं इस साल यहां करीब 3.01 लाख वोटर हो चुके हैं। यानी पांच साल में वोटरों की संख्या में करीब 31 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है। गौरतलब है कि कामरेज, ओलपाड, वटवा, राजकोट (ग्रामीण) और चोरयासी पांचो सीटें अभी बीजेपी के कब्जे में हैं।
जिन 18 विधान सीटों पर मतदाताओं की संख्या में सामान्य से अधिक बढ़ोतरी हुई है उनमें राज्य के मुख्यमंत्री विजय रूपानी और उप-मुख्यमंत्री नितिन पटेल की विधान सभा सीटें भी शामिल हैं। विजय रूपानी की राजकोट पश्चिम सीट पर वोटरों की संख्या में करीब 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। वहीं नितिन पटेल की मेहसाणा विधान सभा के वोटरों में करीब 19 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। वोटरों की संख्या में असमान्य बढ़ोतरी के सवाल पर गुजरात के मुख्य चुनाव अधिकारी (सीईओ) बीबी सवाईं ने कहा, “मुझे हैरत नहीं है। तेजी से शहरीकृत हो रहे शहरों में वोटरों की संख्या में तेज बढ़ोतरी सामान्य बात है। जहां तक कामरेज सीट का सवाल है तो वहां शहरी प्रवासन की वजह से वटोरों की संख्या बढ़ी है। वरच्छा में हुए जनसंख्या बढ़ोतरी से कामरेज के आसपास की जनसंख्या बढ़ी है। इसी तरह चोरयासी और ओलपाड में सूरत शहर में जनसंख्या वृद्धि से वोटर बढ़े हैं।”
गुजरात कांग्रेस के प्रवक्ता शक्ति सिंह गोहिल ने वोटरों की संख्या में बढ़ोतरी पर कहा, “वोटरों की संख्या में कुछ प्रतिशत की बढ़ोतरी स्वीकार्य है। लकेिन अगर ये ज्यादा है तो चुनाव आयोग को इसकी औचक जांच करनी चाहिए और देखने चाहिए कि नए मतदाता वास्तविक हैं या नहीं।” वहीं सयाजीराव गायकवाड़ विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर पीएम पटेल मानते हैं कि ग्रामीण इलाकों की विधान सभा सीटों के वोटरों में ऐसी बढ़ोतरी को समझना मुश्किल है। प्रोफेसर पटेल कहते हैं, “इसके लिए विधान सभा विशेष के इतिहास को गहराई से जांचना होगा ताकि किसी ठोस नतीजे तक पहुंचा जा सके…मैं ऐसा इसलिए कह रहा हूं क्योंकि खेडब्रह्मा (उत्तरी गुजरात का साबरकंठा) में 19 प्रतिशत वोटरों की बढ़तोरी की व्याख्या आसान नहीं।”