फैजाबाद: सपा में महापौर पद के लिए किन्नर उम्मीदवार का विरोध
अयोध्या नगर निगम के मेयर पद के लिए समाजवादी पार्टी की तरफ से घोषित किन्नर उम्मीदवार का पार्टी में विरोध शुरू हो गया है। सपा के टिकट पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे चार प्रमुख दावेदारों ने प्रेस कांफ्रेंस कर किन्नर गुलशन बिंदू की उम्मीदवारी का भारी विरोध किया है। उन्होंने कहा- अगर राष्ट्रीय नेतृत्व ने उम्मीदवार पर पुनर्विचार नहीं किया, तो उन लोगों का सपा में बने रहना मुश्किल होगा। सपा के मेयर पद के दावेदारों मनोज जायसवाल, श्याम कृष्ण श्रीवास्तव, नीरज जायसवाल और हरशंकर यादव ने साझा प्रेस कांफ्रेंस कर कहा है कि किन्नर गुलशन बिंदू का प्रार्थना पत्र 17 नवंबर तक जिला अध्यक्ष के पास नहीं था, फिर कैसे जिले के प्रभारी पूर्व मंत्री पंडित सिंह ने किन्नर गुलशन यादव को उम्मीदवार घोषित कर दिया।
चारों नेताओं का आरोप है कि पार्टी के पूर्व मंत्री तेज नारायण पांडे ने राष्ट्रीय नेतृत्व को गुमराह कर किन्नर को उम्मीदवार घोषित कराया है जो पार्टी के लिए भारी नुकसानदेह साबित होगा।
मेयर पद के लिए किन्नर गुलशन बिंदू की उम्मीदवारी को पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अवधेश प्रसाद, पार्टी के पुराने नेता जयशंकर पांडे और पूर्व विधायक आनंद सेन यादव भी पचा नहीं पा रहे हैं। वे भी राष्ट्रीय नेतृत्व से इस संबंध में अपनी बात रखने को तैयार हैं। सपा में मचे इस घमासान से चुनावी मुहिम शुरू नहीं हो पा रही है।
गुलशन बिंदू फैजाबाद शहर से एक बार नगरपालिका और एक बार विधानसभा का चुनाव लड़कर हार चुकी हैं। पहले चुनाव में किन्नर गुलशन बिंदू के किसी मोहल्ले में पहुंचने से लोग कौतूहल स्वरूप मिला करते थे। लेकिन अब वह चिर-परिचित हो चुकी हैं। ऐसे में यह कौतूहल भी अब गायब हो गया है।
दूसरी ओर भाजपा में टिकट के लिए मारामारी है। 54 उम्मीदवारों ने आवेदन किया है। उम्मीद है कि गुरुवार शाम तक प्रदेश कार्यालय नाम घोषित कर देगा। टिकट पाने वालों की लाइन में ऋषिकेश उपाध्याय, मनोज श्रीवास्तव, गिरीशपति त्रिपाठी का नाम तैर रहा है। पार्षद उम्मीदवारी के लिए भी भाजपा में 11 स्थानों से 15-15 उम्मीदवार मैदान में हैं। कांग्रेस ने शैलेंद्र मणि त्रिपाठी को उम्मीदवार घोषित कर रखा है। शैलेंद्र मणि त्रिपाठी की पत्नी मिथिलेश त्रिपाठी अयोध्या नगरपालिका परिषद की चेयरमैन रह चुकी हैं। अयोध्या नगर निगम का चुनाव इस बार दिलचस्प होने जा रहा है। साठ पार्षद चुने जाने हैं। ऐसी संभावना है कि टिकट के बाद सभी दलों से कई लोग निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे।