प्यार के लिए 17 की उम्र में पिता से की थी बगावत, नहीं रहीं मोहम्मद अली जिन्ना की इकलौती बेटी

पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना की इकलौती बेटी दीना वाडिया का गुरुवार (दो नवंबर) को न्यूयॉर्क में 98 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। दीना वाडिया भारत प्रमुख कारोबारी नुस्ली वाडिया की माँ थीं। वाडिया समूह बॉम्बे डाइंग, ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज और गो एयर का मालिक है। वाडिया समूह अपने तीखी कार्पोरेट लड़ाइयों के लिए भी चर्चा में आता रहा है। जिन्ना ने 42 की उम्र में जब 16 साल की रूटी पेटिट से उन्होंने शादी की तो बीसवीं सदी के मुंबई (तब बॉम्बे) के सभ्य समाज में एक हंगामा सा मच गया। रूटी सर दिनशा पेटिट की इकलौटी बेटी थीं। पारसी कारोबारी सर दिनशा ने ही मुंबई में पहली कपड़ा मिल खोली थी। वो अपने ही दानवृत्ति के लिए भी जाने जाते थे। पारसी समुदाय को रूटी का जिन्ना से शादी के लिए घर से भाग जाना और धर्म बदल लेना नागवार गुजरा था। उन्हें समुदाय से लगभगर बाहर कर दिया गया।

लेखिका शीला रेड्डी ने जिन्ना और रूटी पर लिखा अपनी हालिया किताब “मिस्टर एंड मिसेज जिन्ना” में लिखा है, “रूटी के स्नेहमयी और जोशीले व्यवहार का एक स्याह पहलू ये था कि वो अपने बेटी पर बहुत कम ध्यान देती थीं। वो उन्हें घर पर आया और नौकरों के हवाले छोड़कर चली जाती थीं।” रूटी की बेटी की इस कदर अनदेखी होती थी कि करीब 10 साल के होने पर ही उसे आधिकारिक नाम मिला। रूटी जिन्ना का महज 29 वर्ष की उम्र में असमय देहांत हो गया।

दीना दो बेमेल लोगों के विफल विवाह की परिणीति थीं। जिन्ना की उम्र करीब-करीब रूटी के पिता जितनी ही थी। वो रूढ़िवादी खोजा मुस्लिम समुदाय से आते थे। रूटी लाड-प्यार में पली भावुक, बेपरवाह और शाहखर्च थीं। पत्नी की मृत्यु के बाद जिन्ना ज्यादा रूढ़िवादी हो गये। उनका सारा समय भारत से अलग मुस्लिम देश बनाने की कोशिश में बीतने लगा। जिन्ना ने दीना की परवरिश का जिम्मा दादी दीनबाई पेटिट पर छोड़ दिया। उन्होंने अपनी बेटी का नाम उसकी दादी के नाम पर रखने की भी इजाजत दे दी। उनके दोस्तों के अनुसार कम उम्र में ही अपनी माँ को खो देनी वाली दीना का बचपन अपेक्षाकृत खुशहाल और दोस्ताना माहौल में बीता था। उनकी परवरिश ज्यादातर पारसी रंग-ढंग से ही हुई थी।

जिन्ना को तब बड़ा झटका लगा जब 17 साल की दीना ने उन्हें बताया कि वो नेविल वाडिया से शादी करना चाहती हैं। वाडिया मुंबई के रईस पारसी परिवार के वारिस थे। जिन्ना के सहयोगी और जूनियर रहे जस्टिस मोहम्मद करीम चागला के अनुसार जिन्ना इस बात से बहुत नाराज हुए थे। जिन्ना ने दीना से कहा था कि देश में लाखों मुस्लिम नौजवान हैं वो उनमें से किसी को चुन सकती थी। इसके जवाब में दीना ने कहा, “भारत में लाखों मुस्लिम लड़कियां थीं फिर आपने उनसे शादी क्यों नहीं की?” जिन्ना के लिए ये शादी राजनीतिक किरकिरी का वायस बनी। उन्होंने दीना को लगभग त्याग ही दिया। जिन्ना पाकिस्तान जाने से पहले दीना, नुस्ली वाडिया और उनकी बेटी दियाना से मिले थे। दीना अपने पिता के अंतिम संस्कार के बाद पहली बार साल 2003 में पाकिस्तान गईं। उनके साथ उनके बेटे और दो पोते नेस और जेह भी थे। पाकिस्तान में बहुत से लोगों को ये जानकार सदमा लगा कि कायद-ए-आजम के वारिस पारसी हैं और भारत में रहते हैं। पाकिस्तान निजाम ने कई सालों तक इस बात को दबा कर रखा था।

दीना जीवन के आखिरी सालों में ज्यादातर न्यूयॉर्क में ही रहती थीं। वो साल में एक बार मुंबई अपने परिवार और दोस्तों से मिलने आती थीं। उनका बेटा नुस्ली उनके काफी करीब था और वो अक्सर उनसे मिलने न्यूयॉर्क जाता रहता था। दीना मुंबई के मालाबार हिल पर स्थित जिन्ना हाउस के मिल्कियत का मुकदमा लड़ रही थीं। बंटवारे से पहले जिन्ना इसी बंगले में रहते थे। इस समय इस बंगले की कीमत करीब 40 करोड़ डॉलर आंकी जाती है। पाकिस्तान सरकार भी इस बंगले पर दावा करती है। वहीं भारत सरकार का कहना है कि जिन्ना ने ये बंगला अपनी बहन फातिमा को दिया था जो गुजर चुकी हैं। दीना के वकील का दावा है कि जिन्ना खोजा मुसलमान थे जो हिंदू कानून मानते हैं न कि शरियत कानून इसलिए उनकी बेटी और भारतीय नागरिक होने के नाते बंगले पर उनका हक़ है।

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