सुप्रीम कोर्ट में नरेंद्र मोदी सरकार को हराने के लिए अरविंद केजरीवाल सरकार ने खड़ी की नामी वकीलों की फौज, पी. चिदंबरम भी शामिल
दिल्ली का संवैधानिक बॉस कौन है? इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ सुनवाई कर रही है। शुरुआती सुनवाई में कोर्ट ने कहा है कि उप राज्यपाल ही दिल्ली के बॉस हैं। पिछले साल दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ अरविंद केजरीवाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ का दरवाजा खटखटाया था। गुरुवार को इस मामले पर सुनवाई शुरू हुई। सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली सरकार का पक्ष रखने के लिए अरविंद केजरीवाल ने पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम समेत नौ नामी वकीलों की टीम बनाई है। ये टीम पांच जजों की संविधान पीठ के सामने दिल्ली सरकार का पक्ष रखेगी।
एनडीटीवी से बात करते हुए पी. चिदंबरम ने कहा, “मुझे नहीं लगता, संविधान में उप राज्यपाल को सुप्रीम शक्ति बनाया गया है और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की सरकार को शक्तिहीन इकाई बनाया गया है।” उन्होंने इस बात की भी पुष्टि की कि नौ वकीलों के पैनल में वो भी शामिल हैं। चिदंबरम के अलावा इंदिरा जयसिंह, गोपाल सुब्रमण्यम और राजीव धवन भी इस टीम में शामिल हैं। गोपाल सुब्रमण्यम गुरुवार की सुनवाई में कोर्ट में पेश हुए थे। मामले की अगली सुनवाई मंगलवार (07 नवंबर) को होगी। माना जा रहा है कि पी चिदंबरम उस दिन सुनवाई में शामिल होंगे।
दिल्ली सरकार के एक प्रवक्ता ने कहा है कि पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम दिल्ली सरकार बनाम केंद्र के मामले के जानकार हैं और इस केस में मददगार साबित होंगे। जब प्रवक्ता से इस बारे में पूछा गया कि अरविंद केजरीवाल ने केंद्र सरकार में रहने पर पी चिदंबरम पर हमला बोला था तो क्या वो इस केस में उनका खेल नहीं बिगाड़ देंगे। इस पर प्रवक्ता ने कहा कि चिदंबरम एक अच्छे प्रोफेशनल हैं।
कोर्ट ने कहा कि दिल्ली सामान्य राज्य नहीं बल्कि एक केंद्र शासित प्रदेश है इसलिए, यहां राज्य सरकार के अधिकार अन्य राज्यों की तरह नहीं हो सकते। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि दिल्ली के बॉस एलजी ही हैं। हालांकि कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर राज्य सरकार और एलजी के बीच अधिकारों को लेकर कोई विवाद होता है तो उन्हें राष्ट्रपति के पास जाना चाहिए क्योंकि संविधान के अनुसार असल मुखिया वही हैं।