राज्यसभा में ‘आप’ की कमान संभाल सकते हैं केजरीवाल

अजय पांडेय

दिल्ली से आगामी फरवरी में खाली हो रही राज्यसभा की तीन सीटों के चुनाव में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी एक उम्मीदवार हो सकते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार के खिलाफ तीखे सियासी हमले कर देशभर में सुर्खियां बटोर चुके केजरीवाल अब संसद में भी विपक्ष की दमदार आवाज बनने की तैयारी में हैं। उनके सांसद बनने की सूरत में दिल्ली की कमान उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को सौंपी जा सकती है। दिल्ली से राज्यसभा की तीन सीटें आगामी 18 फरवरी को खाली हो रही हैं। जाहिर है कि इन्हें भरने के लिए चुनाव उससे पहले ही होना है। दिल्ली में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) के प्रचंड बहुमत के मद्देनजर इन तीनों ही सीटों पर पार्टी के उम्मीदवारों का विजयी होना तय है। दिक्कत यह है कि तीनों ही सीटों के लिए पार्टी में दावेदार बहुत हैं। आप के संस्थापकों में से एक कुमार विश्वास के राज्यसभा सीट पर दावा ठोक देने के बाद पार्टी में घमासान गहरा गया है। कुमार का कहना है कि चूंकि वे एक बेहतर वक्ता हैं, लिहाजा संसद में आम आदमी की बात ज्यादा बेहतर तरीके से उठा सकते हैं। लेकिन जानकार सूत्रों का दावा है कि पार्टी कुमार को राज्यसभा नहीं भेजेगी, और न ही किसी अन्य नेता को यह मौका मिलेगा। पार्टी के मुखिया केजरीवाल खुद ही संसद भवन से आम आदमी की आवाज बुलंद करेंगे।

पिछले लोकसभा चुनाव में आप ने पंजाब में चार लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज की थी। इनमें से कुछ सांसद भले ही अलग रास्ते पर चल रहे हों, लेकिन तकनीकी तौर पर वे आप के ही सांसद हैं और पार्टी व्हिप से बंधे हुए हैं। दूसरी ओर राज्यसभा में पार्टी के तीन सांसद चुने जाने के बाद लोकसभा और राज्यसभा को मिलाकर दोनों सदनों में आप के कुल सांसदों की संख्या सात हो जाएगी। ऐसे में अगर केजरीवाल राज्यसभा की राह पकड़ते हैं तो इस संसदीय दल का नेता होने की हैसियत से सदन में आगे की कुर्सी पर बैठेंगे और अपनी खास भाषण शैली से सियासी रंग भी जमाने में कामयाब होंगे।
पार्टी जानकारों के बीच चर्चा यह भी है कि कुमार विश्वास की गिनती भी बेहतरीन वक्ताओं में होती है। ऐसे में अगर उन्हें राज्यसभा भेजा गया तो पार्टी में सत्ता का संतुलन गड़बड़ाएगा। पार्टी में अपनी वरिष्ठता के मद्देनजर वे संसद में पार्टी के नेता भी बनना चाहेंगे। दूसरी ओर भाजपा में शीर्ष स्तर पर उनकी नजदीकियां जगजाहिर हैं। ऐसे में वे कभी भी पार्टी के लिए बड़ी चुनौती बन सकते हैं। लिहाजा पार्टी न उनको संसद भेजेगी और न ही किसी अन्य वरिष्ठ नेता को मौका दिया जाएगा। पार्टी के मुखिया केजरीवाल खुद ही संसद में पार्टी की कमान संभालेंगे। बाकी की दोनों सीटें पार्टी से जुड़े कानून और कारोबार की दुनिया की नामचीन हस्तियों को दी जा सकती हैं।

 दिल्ली में पार्टी के संयोजक गोपाल राय पहले ही कह चुके हैं कि आम आदमी पार्टी से पूरे देश को अपेक्षाएं हैं। कांग्रेस और भाजपा के बाद इस पार्टी को लोग एक विकल्प के तौर पर देखते हैं। इसलिए पार्टी गुजरात सहित देश के अन्य हिस्सों में अपने संगठन का विस्तार कर रही है। जाहिर है कि राष्टÑीय स्तर पर पार्टी के विस्तार की दिशा में कदम बढ़ा रही आम आदमी पार्टी के मुखिया के भी अब महज दिल्ली के दायरे में सिमटकर रहने का कोई औचित्य नहीं है।

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