कार्तिक पूर्णिमा 2017 शुभ मुहूर्त और पूजा विधि: किस विधि से शुभ समय में पूजा करके पाया जा सकता है

शास्त्रों के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा के दिन शाम भगवान श्रीहरि ने मत्स्यावतार के रूप में प्रकट हुए थे। भगवान विष्णु के इस अवतार की तिथि होने की वजह से आज किए गए दान, जप का पुण्य दस यज्ञों से प्राप्त होने वाले पुण्य के बराबर माना जाता है। इ, दिन दीपदान करना शुभ माना जाता है। इस दिन पवित्र नदियों में दीपदान किया जाता है। कार्तिक पूर्णिमा पर अगर कृतिका नक्षत्र आ रहा हो तो यह महाकार्तिकी होती है। भरणी नक्षत्र होने पर यह विशेष शुभ फल देती है। रोहिणी नक्षत्र हो तो इस दिन किए गए दान-पुण्य से सुख-समृद्धि और धन की प्राप्ति है।

कार्तिक पूर्णिमा पूजा विधि-
कार्तिक पूर्णिमा के दिन सुबह स्नान करके पूरे दिन व्रत किया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की अराधना की जाती है। कई लोग इस दिन गंगा स्नान भी करते हैं, गंगा स्नान का कार्तिक माह में महत्व माना जाता है। भगवान शंकर का पूजन किया जाता है। ब्राह्मणों इस दिन भोजन करवाना शुभ माना जाता है। इस दिन भोजन से पहले हवन करवाना शुभ माना जाता है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन रात्रि में चन्द्रमा के दर्शन करने पर शिवा, प्रीति, संभूति, अनुसूया, क्षमा तथा सन्तति इन छहों कृत्तिकाओं का पूजन करना चाहिए| पूजन तथा व्रत के उपरान्त बैल दान से व्यक्ति को शिवलोक प्राप्त होता है, जो लोग इस दिन गंगा तथा अन्य पवित्र स्थानों पर श्रद्धा-भक्ति से स्नान करते हैं, वह भाग्यशाली होते हैं।

इस वर्ष कार्तिक पूर्णिमा की तिथि 3 नवंबर दोपहर एक बजे से शुरु होकर 4 नवंबर की सुबह 10 बजे तक है। इस दौरान पूजा करना शुभ माना जाता है। इस दिन माता गंगा की पूजा भी की जाती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर का वध किया था और तीनों लोकों को असुरों के प्रकोप से बचाया था। इस दिन के लिए ये भी मान्यता है कि सभी देव काशी आकर गंगा माता का पूजन करके दिवाली मनाते हैं।

 

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