कार्तिक पूर्णिमा 2017 व्रत कथा: भगवान शिव को क्यों कहा जाता है त्रिपुरारी, जानिए कार्तिक पूर्णिमा की कथा

हिंदू धर्म में कार्तिक मास बहुत अहम होता है। इस महीने में की गई भक्ति-आराधना का पुण्य कई जन्मों तक बना रहता है। इस महीने में किए गए दान, स्नान, यज्ञ, उपासना से श्रद्धालु को शुभ फल प्राप्त होते हैं। हिंदू शास्त्रों के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा के गंगा स्नान का महत्व होता है। इस दिन माता गंगा की पूजा भी की जाती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर का वध किया था और तीनों लोकों को असुरों के प्रकोप से बचाया था। इस दिन के लिए ये भी मान्यता है कि सभी देव काशी आकर गंगा माता का पूजन करके दिवाली मनाते हैं। इस दिन कई लोग व्रत करते हैं मान्यता है कि इस दिन सभी देवों को एक साथ प्रसन्न किया जा सकता है। इस दिन व्रत कथा का पाठ करके जीवन में पुण्य कमाया जा सकता है। इस दिन शाम के समय कथा करने के बाद घर के मंदिर में दीपक जरुर जलाया जाता है।

कार्तिक पूर्णिमा की कथा-
प्राचीन समय की बात है, एक नगर में दो व्यक्ति रहते थे। एक नाम लपसी था और दूसरे का नाम तपसी था। तपसी भगवान की तपस्या में लीन रहता था, लेकिन लपसी सवा सेर की लस्सी बनाकर भगवान का भोग लगाता और लोटा हिलाकर जीम स्वयं जीम लेता था। एक दिन दोनों स्वयं को एक-दूसरे से बड़ा मानने के लिए लड़ने लगे। लपसी बोला कि मैं बड़ा हूं और तपसी बोला कि मैं बड़ा हूं, तभी वहां नारद जी आए और पूछने लगे कि तुम दोनों क्यूं लड़ रहे हो? तब लपसी कहता है कि मैं बड़ा हूं और तपसी कहता है कि मैं बड़ा हूं। दोनों की बात सुनकर नारद जी ने कहा कि मैं तुम्हारा फैसला कर दूंगा।

अगले दिन तपसी नहाकर जब वापिस आ रहा था, तब नारद जी ने उसके सामने सवा करोड़ की अंगूठी फेंक दी। तपसी ने वह अंगूठी अपने नीचे दबा ली और तपस्या करने बैठ गया। लपसी सुबह उठा, फिर नहाया और सवा सेर लस्सी बनाकर भगवान का भोग लगाकर जीमने लगा। तभी नारद जी आते हैं और दोनों को बिठाते हैं। तब दोनों पूछते है कि कौन बड़ा। है? तपसी बोला कि मैं बड़ा हूं। नारद जी बोले “तुम पैर उठाओ और जब पैर उठाया तो सवा करोड़ की अंगूठी निकलती है। नारद जी कहते हैं कि यह अंगूठी तुमने चुराई है। इसलिए तेरी तपस्या भंग हो गई है और तपसी बड़ा है।” सभी बातें सुनने के बाद तपसी नारद जी से बोला कि मेरी तपस्या का फल कैसे मिलेगा? तब नारद जी उसे कहते हैं “तुम्हारी तपस्या का फल कार्तिक माह में पवित्र स्नान करने वाले देगें उसके आगे नरद जी कहते हैं कि सारी कहानी कहने के बाद जो तेरी कहानी नहीं सुनाएगा या सुनेगा, उसका कार्तिक का फल खत्म हो जाएगा।”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *