फिर बोले शत्रुघ्न सिन्हा- अगर बीजेपी ‘वन मैन शो’ और ‘टू मैन आर्मी’ बनी रही तो विनाश तय!
बीजेपी सांसद और अभिनेता से नेता बने शत्रुघ्न सिन्हा ने एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि बीजेपी तभी लोगों की उम्मीदों पर खरा उतर सकती है जब पार्टी ‘वन मैन शो’ और ‘टू मैन आर्मी’ के खांचे से बाहर निकलेगी। उन्होंने कहा कि आज की तारीख में देश के युवा, किसान और व्यापारी वर्ग बीजेपी सरकार की नीतियों से खफा हैं। उन्होंने पीटीआई से बात करते हुए कहा, “मुझे लगता है कि हम गुजरात और हिमाचल प्रदेश, दोनों विधानसभा चुनावों में कठिन चुनौतियों का सामना कर रहे हैं क्योंकि युवाओं, किसानों और व्यापारियों में केंद्र सरकार की नीतियों को लेकर घोर असंतोष है।”
बता दें कि शत्रुघ्न सिन्हा पाटलीपुत्र से लोकसभा सांसद हैं और पिछले कुछ महीनों से अपने बयानों को लेकर चर्चा में रहे हैं। कुछ दिन पहले ही उन्होंने पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा का समर्थन किया था और देश की गिरती अर्थव्यवस्था पर मोदी सरकार पर निशाना साधा था। जब उनसे पूछा गया कि क्या आप बीजेपी को छोड़ने का मन बना रहे हैं तो उन्होंने कहा, “मैं इसे छोड़ने के लिए भाजपा में शामिल नहीं हुआ था। लेकिन जब मैं कहता हूँ कि हम अपनी चुनौतियों का सामना नहीं कर सकते हैं, तब भी मैं उन शब्दों को कम नहीं कर सकता, जब हम कहते हैं कि पार्टी ‘वन मैन शो’ और ‘टू मैन आर्मी’ बन रही है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पार्टी को एकजुट होकर और उन बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद लेकर, जिन्होंने सबकुछ न्योछावर कर पार्टी को इस मुकाम तक पहुंचाया है, दृढ़ता से लड़ाई लड़नी चाहिए। उन्होंने कहा, “मुझे आज तक यह समझ में नहीं आया कि लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी जेसे सीनियर लीडर की क्या गलती थी कि उन्हें साइडलाइन कर दिया गया और बीच मझधार में छोड़ दिया गया। हमलोग सभी एक परिवार के सदस्य हैं। अगर इनमें से किसी से कुछ गलती हुई है तो उसे क्यों नहीं भुलाया जा रहा।”
शत्रुघ्न सिन्हा ने पार्टी आलाकमान को नसीहत दी कि सरकार की खामियों का ईमानदारी पूर्वक विश्लेषण किया जाय। उन्होंने कहा कि हम इस बात से इनकार नहीं कर सकते कि नोटबंदी की वजह से हजारों लोगों की नौकरियां चली गईं। उन्होंने कहा कि नोटबंदी और जीएसटी दोनों मोर्चे पर सरकार के कदम कल्याणकारी नहीं रहे हैं। जीएसटी की जटिलता से व्यापारी वर्ग नाखुश है।