पैराडाइज पेपर्स -बहु-एजंसी समूह करेगा जांच

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने सोमवार को कहा कि सरकार ने पैराडाइज पेपर्स के मामलों में जांच का निर्देश दिया है और बहु-एजेंसी समूह (एमएजी) सामने आए ताजा दस्तावेजों की जांच की निगरानी करेगा। बरमूडा की एक विधि सलाहकार कंपनी के कंप्यूटर से उड़ाए गए इन दस्तावेजों में कई भारतीय इकाइयों और हस्तियों के विदेशों में निवेश का उल्लेख है। पैराडाइज दस्तावेजों में केंद्रीय मंत्री जयंत सिन्हा और अभिनेता अमिताभ बच्चन सहित 714 भारतीयों और इकाइयों के नाम हैं। सीबीडीटी ने कहा है कि देश भर में आयकर विभाग की जांच इकाइयों को इन सूचनाओं को लेकर सतर्क कर दिया गया है। प्रत्यक्ष कर व्यवस्था के इस शीर्ष निकाय ने कहा है कि उसकी विदेशी इकाइयां बाकी पेज 8 पर विदेशों में निवेश करने वाले कुछ मामलों की तेजी से जांच करने में पहले से ही लगी हैं।

आयकर विभाग के नीति नियामक निकाय सीबीडीटी के बयान में कहा गया है, ‘जैसे ही आगे की सूचना आती है, कानून के मुताबिक उपयुक्त कार्रवाई की जाएगी।’ बयान के अनुसार सीबीडीटी के चेयरमैन की अध्यक्षता वाला पुनर्गठित बहु एजंसी समूह (एमएजी) इसकी जांच करेगा। इसमें सीबीडीटी, प्रवर्तन निदेशालय, रिजर्व बैंक और वित्तीय खुफिया इकाई के प्रतिनिधि शामिल हैं। पनामा दस्तावेज में आए भारतीयों के विदेशों में जमा धन की वैधता की जांच के लिए इस समूह एमएजी का गठन पिछले साल अप्रैल में किया गया था। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि समूह पैराडाइज पेपर्स में भारत के जिन 714 व्यक्तियों और इकाइयों के नाम आए हैं, उनके आयकर रिटर्न के ब्योरे की जांच करेगा और जरूरत पड़ने पर उपयुक्त कार्रवाई करेगा।हालांकि सीबीडीटी ने कहा कि उसे अभी ताजा घोषणा के बारे में पूरा ब्योरा नहीं मिला है। अबतक मीडिया में कुछ भारतीय नागरिक और इकाइयों के नाम आए हैं।

पैराडाइज दस्तावेज में व्यक्तियों और इकाइयों के विदेशों में संपत्ति का खुलासा किया गया है। इसका खुलासा इंडियन एक्सप्रेस ने इंटरनेशनल कंसोर्टियम आफ इनवेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स (आइसीआइजे) ने किया।हालांकि अबतक आईसीआईजे वेबसाइट ने भी सभी इकाइयों के नाम और ब्योरा जारी नहीं किया है। दस्तावेज में 714 भारतीयों और इकाइयों के नाम हैं। पैराडाइज के कागजों में करीब 70 लाख कर्ज समझौते, वित्तीय ब्योरे, ई-मेल, ट्रस्ट के कागजात और अन्य दस्तावेज शामिल हैं। ये दस्तावेज करीब 50 साल के हैं और इसे प्रतिष्ठित विदेशी विधि कंपनी एप्पलबी से हासिल किया गया है। इसके कार्यालय बरमुडा और अन्य जगहों पर हैं।

आइसीआइजे की मीडिया सहयोगी इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार पैराडाइज पेपर्स में जिन भारतीयों के नाम है, उसमें बालीवुड अभिनेता अमिताभ बच्चन, फरार व्यवसायी विजय माल्या, कंपनियों के लिए जन संपर्क का काम करने वाली नीरा राडिया, संजय दत्त की पत्नी मान्यता, केंद्रीय मंत्री जयंत सिन्हा और राज्यसभा सदस्य आरके सिन्हा के नाम हैं। आइसीआइजे जांच को लेकर वैश्विक स्तर पर 95 मीडिया सहयोगियों के साथ काम करता है।
रिपोर्ट के अनुसार आंकड़े में शामिल 180 देशों में नामों की संख्या के आधार पर भारत (714) 19वें स्थान पर है। नंद लाल खेमका द्वारा स्थापित सन ग्रुप का भी नाम इसमें शामिल हैं। जिन अन्य भारतीयों के नाम इसमें हैं, उसमें सन टीवी-एअरसेल-मैक्सिस मामला, एस्सार-लूप 2जी मामला, एसएनसी-लवलीन से जुड़े नाम शामिल हैं। एसएनसी- लवलीन मामले में केरल के माकपा नेता (केरल के वर्तमान मुख्यमंत्री) पिनारायी विजयन का नाम भी चर्चा में आया था लेकिन वे इस मामले से बरी हो चुके हैं। इसके अलावा इसमें राजस्थान एंबुलेंस घोटाले से जुड़ी कंपनी जीक्विस्टा हेल्थकेयर का भी जिक्र है जिसमें शुरुआत में कांग्रेस नेता सचिन पायलट और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम के पुत्र कार्ती चिदंबरम मानद स्वतंत्र निदेशक थे।
जयंत ने दी सफाई

कर से बचने के लिए कर पनाहगाह वाले देशों से संबंधित लीक हुए पैराडाइज दस्तावेजों में केंद्रीय मंत्री जयंत सिन्हा का नाम आने पर उन्होंने कहा कि किसी ‘निजी उद्देष्य’ से कोई लेनदेन नहीं किया। पैराडाइज दस्तावेजों की जांच पर आधारित रपट के अनुसार सिन्हा भारत में ओमिदयार नेटवर्क के प्रबंध निदेशक रहे हैं और ओमिदयार नेटवर्क ने अमेरिकी कंपनी डी. लाइट डिजाइन में निवेश किया था। डी. लाइट डिजाइन की केमैन द्वीप में अनुषंगी कंपनी है। सिन्हा ने सोमवार को सिलसिलेवार ट्वीट करते हुए कहा कि लेनदेन वैध और प्रमाणिक हैं। नागर विमानन राज्यमंत्री सिन्हा ने कहा कि मेरी जिम्मेदार भूमिका में यह लेनदेन दुनिया के प्रतिष्ठित संगठनों की ओर से किए गए और यह कार्य ओमिदयार नेटवर्क में सहयोगी और इसकी ओर से डी. लाइट डिजाइन के निदेशक मंडल में नामित प्रतिनिधि के तौर पर किए गए। उन्होंने कहा, ‘यह गौर करने की बात है कि यह लेनदेन डी. लाइट डिजाइन के लिए ओमिदयार के प्रतिनिधि के तौर पर किए गए, ना कि किसी निजी उद्देष्य के लिए।’

उन्होंने कहा कि इन सभी लेनदेनों को आवश्यक नियामकीय जानकारियों के तहत संबद्ध प्राधिकारियों के समक्ष सार्वजनिक रखा गया था। सिन्हा ने कहा कि ओमिदयार नेटवर्क को छोड़ने के बाद मुझसे डी. लाइट डिजाइन के निदेशक मंडल में स्वतंत्र निदेशक बने रहने के लिए कहा गया था। केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने के बाद मैंने डी. लाइट डिजाइन के निदेशक मंडल से तत्काल इस्तीफा दे दिया था और कंपनी से अपने संबंध तोड़ दिए थे।

कार्रवाई हो : कांग्रेस

कांग्रेस ने नरेंद्र मोदी सरकार पर कालेधन के मामले में पिछले 41 महीने में कोई भी कदम नहीं उठाने का आरोप लगाते हुए ‘पैराडाइज दस्तावेजों’ में हुए ताजा खुलासों में केंद्रीय मंत्री जयंत सिन्हा का नाम आने पर उनसे तुरंत इस्तीफा देने की मांग की। पार्टी ने भाजपा के राज्यसभा सांसद आरके सिन्हा के खिलाफ भी तुरंत मुकदमा दर्ज किए जाने की मांग की है।कांग्रेस के मीडिया विभाग के मुखिया रणदीप सुरजेवाला ने सोमवार को जयंत सिन्हा पर हमला बोलते हुए कहा कि इस कर पनाहगाह वाली कंपनी ने 30 लाख अमेरिकी डालर का ऋण लिया था। इस ऋण के लिए एक समझौता किया गया जिस पर सिन्हा के हस्ताक्षर भी हैं। उन्होंने दावा कि सिन्हा ने डी.लाइट डिजाइन में निदेशक होने की बात चुनाव आयोग के समक्ष दाखिल घोषणापत्र और लोकसभा सचिवालय व प्रधानमंत्री कार्यालय से छिपाई। उन्होंने कहा कि सिन्हा मई 2014 में सांसद बनने के बाद भी इस कंपनी के निदेशक रहे। उन्होंने कहा कि ऐसा करना सरासर हितों का टकराव है और उन्हें अब एक भी दिन पद पर बने रहने का अधिकार नहीं है।

सुरजेवाला ने कहा कि इन दस्तावेजों में भाजपा के राज्यसभा सदस्य आरके सिन्हा का नाम भी आया है। उन्होंने कहा कि यह खुलासा होने के बाद आरके सिन्हा ने सात दिनों का मौन व्रत ले लिया है। सुरजेवाला ने कहा कि मोदी ने चुनाव से पहले कहा था कि सत्ता में आने के 100 दिनों के भीतर वे विदेशों में रखे देश के 80 लाख करोड़ रुपए वापस लाएंगे। पर भाजपा को सत्ता में आए 41 माह बीत चुके हैं, उन्हें बताना चाहिए कि अब तक काला धन के मामले में कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि लिचटेंस्टाइन बैंक, एचएसबीसी बैंक और उसके बाद पनामा पेपर्स में करीब 2000 लोगों के नाम सामने आए। लेकिन मोदी सरकार ने अभी तक कोई भी कार्रवाई नहीं की। उन्होंने दावा किया कि आइसीआइजे के आफशोर लीक्स में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमण सिंह के पुत्र अभिषेक सिंह का भी नाम आया था लेकिन उस मामले में भी अभी सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की। उन्होंने कहा कि इस मामले में अभी तक प्राथमिकी भी दर्ज क्यों नहीं की गई।

पैराडाइज पेपर्स में कांग्रेस नेता सचिन पायलट का नाम आने के बारे में पूछे जाने पर सुरजेवाला ने कहा कि सचिन इस बारे में अपनी स्थिति पहले ही यह स्पष्ट कर चुके हैं।सुरजेवाला ने सवाल किया कि केंद्र सरकार उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं करती और उनके नामों का खुलासा क्यों नहीं करती जिनके नाम लिचटेंस्टाइन बैंक, एचएसबीसी, पनामा दस्तावेजों और पैराडाइज दस्तावेजों में हैं। उन्होंने पूछा कि क्या प्रधानमंत्री इनसे संबंधित सारी सूचनाएं सुप्रीम कोर्ट की एसआइटी को सौंपेंगे जो कालाधन-धारकों के खिलाफ कार्रवाई की निगरानी कर रही है।

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