बदलाव की उम्मीद

राजनेताओं से जुड़े आपराधिक मामलों की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने विशेष अदालत के गठन की वकालत की है। कोर्ट ने इस कदम को राष्ट्रहित में बताते हुए इसमें लगने वाले समय व धन के संबंध में सरकार से छह हफ्ते में जवाब मांगा है। अगर विशेष अदालत में राजनेताओं से जुड़े आपराधिक मामलों का तीव्र निपटारा होता है तो इससे राजनीति के अपराधीकरण की प्रक्रिया शिथिल हो सकती है। 2014 के चुनावी हलफनामों के अनुसार देश के 1581 सांसदों-विधायकों पर मामले दर्ज हैं जो बहुत बड़ी संख्या है। इतनी अधिक संख्या में आपराधिक प्रष्ठभूमि के जनप्रतिनिधियों का होना भारतीय राजनीति पर दाग और स्वच्छ राजनीतिक संस्कृति के निर्माण की राह में रोड़ा है।

आमतौर पर न्यायिक व्यवस्था में फैसला आने में 10-15 साल का समय भी लग जाता है। ऐसे में फैसला आने तक दागदार छवि वाले नेता अपने तीन-चार कार्यकाल पूरे कर लेते हैं और राजनीति का अपराधीकरण रोकना मुश्किल हो जाता है। अगर विशेष अदालत की स्थापना के बाद आपराधिक प्रवृत्ति वाले नेताओं के मामलों का निपटारा एक साल के अंदर हो जाता है और दोषी नेताओं के चुनाव लड़ने पर आजीवन प्रतिबंध लगता है (जैसा कि चुनाव आयोग ने सुझाया है) तो राजनीति के अपराधीकरण को काफी हद तक रोका जा सकता है।इस तरह की व्यवस्था से राजनीति में सकारात्मक बदलाव की उम्मीद की जा सकती है। इससे राजनीति से न सिर्फ अपराधों में लिप्त नेता दूर रहेंगे बल्कि अच्छे व बेदाग छवि के व्यक्ति राजनीति की तरफ आकृष्ट होंगे जिससे स्वस्थ राजनीतिक माहौल बनेगा। चुनाव आयोग दोषी नेताओं के चुनाव लड़ने पर आजीवन प्रतिबंध लगाने के पक्ष में है और अब अगर इस तरह की विशेष अदालत की स्थापना की जाती है तो यह राजनीति को अपराध से बचाने की दिशा में ऐतिहासिक कदम साबित होगा। देखना यह होगा कि सर्वोच्च न्यायालय की इस मंशा के अनुसार केंद्र सरकार इस दिशा में क्या कारगर कदम उठाती है।

’जितेंद्र कुमार, जालोर, राजस्थान

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