जानिए कैसे नानक देव ने बदल दी थी काबा की दिशा
एक पौराणिक कथा के अनुसार एक बार सिक्खों के गुरु श्री नानक देव यात्रा करते हुए मक्का मदीना पहुंच गए थे। जब वह मक्का मदीना पहुंचे तो शाम हो चुकी थी और उनके सहयात्री सहयात्री काफी थकान महसूस कर रहे थे तो मक्का में मुस्लिम समुदाय का प्रसिद्ध पवित्र स्थान काबा में अपनी थकान मिटाने के लिए लेट गए थे लेकिन उन्हें इस बात का अंदाजा नहीं था कि उनके पैर किस दिशा में है। मुस्लिम धर्म में ये मान्यता है कि मक्का मदीना की ओर पैर करके नहीं सोया जाता है। एक मुस्लिम शख्स नाराज हो गया और क्रोध से बोला कि काफिर तू कौन है जो खुदा के घर की तरफ पैर करके सोया है। इस पर नानक देव ने कहा कि हम सभी बहुत थके हुए हैं, थकान के कारण हमने नहीं देखा कि किस तरफ पैर हैं।
नानक देव ने उस शख्स से कहा कि आप मेरे पैर उस तरफ कर दें जिस तरफ खुदा का घर नहीं है। क्रोध में उसने नानक देव के पैर काबा के दूसरी तरफ कर दिए। इसके बाद जब उसने सिर उठाया तो काबा उसी दिशा में आ गया था। इस तरह उसने कई बार नानक देव के पैरों को घूमाया लेकिन हर बार काबा घूमकर उसी दिशा में चला जाता। ये देखकर वो व्यक्ति घबरा गया। घबराहट में वो हाजी और बाकि लोगों को बताने चला गया। ये सब सुनने के बाद सभी लोग वहां पहुंचे। काबा के मुख्य मौलवी नानक देव से मिलने आए और उनसे कहा कि आप मुस्लिम नहीं हैं फिर यहां क्यों आए हैं।
गुरु नानक ने कहा कि वो इस तरह से नहीं मानते हैं और उनका मानना है कि जो शुद्ध होता है वो उसका सम्मान करते हैं। नानक जी के व्यवहार और उनके होने से हुए चमत्कार से सभी लोग बहुत प्रभावित हो जाते हैं और नानक देव जी के प्रशंसक हो जाते हैं। वहां नानक देव ने कहा कि सबसे प्यार करने वाला और सदाचारी व्यक्ति ही श्रेष्ठ होता है चाहे वो किसी भी धर्म से क्यों ना हो। उनके इस सच्चाई और सदाचार के व्यवहार से सभी प्रभावित हो जाते हैं। इसके साथ ही मान्यता है कि काबा में आज भी नानक देव के खड़ाऊ रखे हुए हैं।