‘जब मनमोहन सिंह के राज में हुई संगठित लूट तो नजर फेर कर बैठे रहे’

रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने नोटबंदी की आलोचना करने वाले पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर बुधवार को निशाना साधा। उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि जब उनके राज में संगठित लूट हो रही थी तो वह नजर फेर कर बैठे थे। नोटबंदी को संगठित लूट और वैधानिक डाका बताए जाने को लेकर सिंह की आलोचना करते हुए सीतारमण ने उनके द्वारा इस कदम के खिलाफ इस तरह के कड़े शब्दों का प्रयोग करने पर अफसोस प्रकट किया। उन्होंने कहा कि इस कदम का उद्देश्य अर्थव्यवस्था को मजबूत करना था और इससे किसी को कोई निजी फायदा पहुंचाना नहीं था।

सीतारमण ने तमिलनाडु भाजपा इकाई के मुख्यालय ‘कमलालयम’ में पत्रकारों से कहा, ‘‘असल में संगठित लूट और वैधानिक डाका उस समय डाला गया था जब वह प्रधानमंत्री थे।’’ 2जी स्पेक्ट्रम और अदालतों में इससे संबंधित मामलों समेत घोटालों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि वास्तव में ये सब मनमोहन सिंह के शासनकाल के दौरान हुआ था। उन्होंने इस संबंध में बात नहीं की और ऐसा दिखाई देता है जैसे कि वह कहीं नजरें फिराके बैठे हैं।

काला धन विरोधी दिवस पर भाजपा की तमिलनाडु इकाई के कार्यक्रमों में भाग लेने आई सीतारमण ने कहा कि सिंह ने उच्चतम न्यायालय के निर्देश के बावजूद काला धन की जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन नहीं किया था। उन्होंने कहा कि केन्द्र की सत्ता में आने के बाद भाजपा सरकार ने सबसे पहला कदम उठाते हुए एसआईटी का गठन किया था। उन्होंने कहा, ‘‘डॉ मनमोहन सिंह वैधानिक डाका कहां डाला गया था। मैं बहुत निराश हूं।’’

रक्षा मंत्री ने कहा कि सरकार बहुत पारदर्शी ढ़ंग से काम कर रही है और उसने विस्तार से बताया है कि नोटबंदी का कदम क्यों उठाया गया।उन्होंने नोटबंदी सफल होने के बारे में कांग्रेस द्वारा पूछे जाने पर कहा, ‘‘(नोटबंदी के बाद बैंकों में) जमा किया गया सारा धन सफेद नहीं था।’’ सीतारमण ने दावा किया कि नोटबंदी के परिणामस्वरूप जम्मू कश्मीर में पथराव की घटनाएं घटकर 600 पर आ गई जो नोटबंदी से पहले पिछले वर्ष चार हजार से अधिक थीं। उन्होंने कहा कि भाजपा ने वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में अपने घोषणा पत्र में मतदाताओं को आश्वासन दिया था कि काला धन और बेहिसाब धनराशि का खात्मा किया जाएगा। उन्होंने कहा कि देश की तरक्की और अर्थव्यवस्था में पारर्दिशता के लिए नोटबंदी जरूरी थी।

 

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