नोटबंदी-जीएसटी का असर? बोनस में कार-फ्लैट देने वाले गुजराती कारोबारी ने अबकी कर्मचारियों को रखा खाली हाथ

पिछले साल दिवाली पर अपने कर्मचारियों को 400 फ्लैट और एक हजार कारें गिफ्ट करके चर्चा में आए सूरत के हीरा व्यापारी शावजी ढोलकिया  ने इस साल कोई तोहफा नहीं दिया। माना जा रहा है कि नोटबंदी, जीएसटी और विभिन्न एजेंसियों द्वारा की जा रही कार्रवाई के चलते गुजरात के कारोबारी आर्थिक दबाव में हैं। हालांकि ढोलकिया ने अपने फैसले के पीछे नोटबंदी या जीएसटी को वजह नहीं बताते। ढोलकिया ने टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा, “हमने इस साल के दिवाली बोनस को अगले साल के लिए टाल दिया है और इसका नोटबंदी या जीएसटी से कोई लेना देना नहीं है।” ढोलकिया हरे कृष्णा एक्सपोर्ट के मालिक हैं। टीओआई के अनुसार उनकी कंपनी में करीब 500 कर्मचारी हैं और कंपनी का करीब छह हजार करोड़ रुपये का सालाना कारोबार है। ढोलकिया पहली बार तब चर्चा  में आए थे जब साल 2015 में दिवाली पर उन्होंने अपने 1200 कर्मचारियों को 491 फिएट पंटो कारें, 200 फ्लैट और आभूषण दिए थे।

साल 2016 में ढोलकिया ने दिवाली पर पहले से भी ज्यादा दरियादिली दिखाते हुए 2000 कर्मचारियों को डॉटसन रेडी-गो, मारूती अल्टो कारें और आभूषण गिफ्ट किए थे। गुजरात में कई अन्य कारोबारी भी दिवाली एवं अन्य त्योहारों पर कर्मचारियों को उपहार देते रहे हैं लेकिन ढोलिकया जैसी उदारता शायद ही किसी ने दिखायी हो। ढोलकिया भले ही इनकार करें लेकिन इस साल उनके द्वारा गिफ्ट न दिए जाने के पीछे जीएसटी को बड़ी वजह मानने के पीछे ठोस आधार हैं। एक जुलाई से लागू जीएसटी में केंद्र सरकार ने कर्मचारियों को दिए 50 रुपये से अधिक मूल्य के गिफ्ट को टैक्स के दायरे में रखा है। ऐसे में किसी भी कारोबारी के लिए महंगे गिफ्ट देना पहले जैसा आसान नहीं रहा।

 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आठ नवंबर 2016 को उसी रात 12 बजे से 500 और 1000 रुपये के नोटों को बंद किए जाने की घोषणा की थी। केंद्र सरकार ने पुराने नोटों को बैंकों और डाकघरों में बदलने के लिए 31 दिसंबर तक की मोहलत दी थी। नोटबंदी की घोषणा के समय देश की करीब 86 प्रतिशत नकदी इन्हीं नोटों के रूप में थी। हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक ने बताया कि नोटबंदी के बाद बंद किए गये 99 प्रतिशत नोट वापस आ गये।

 

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