फोन और बैंक अकाउंट के बाद एलआईसी समेत सभी बीमा पॉलिसियों को भी आधार से जोड़ना जरूरी

बैंक खातों और फोन नंबर को आधार कार्ड जोड़ने से जुड़ा विवाद अभी थमा भी नहीं था कि बीमा धारकों को उनकी बीमा पॉलिसियों को आधार से जोड़ने को बाध्यकारी बनाए जाने की खबर आ रही है। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई) ने सभी बीमा कंपनियो को ग्राहकों के पालिसियों को आधार और पैन से जोड़ने के बाबत निर्देश जारी किए हैं। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने बैंकों और मोबाइल सेवा प्रदाता कंपनियों को आधार जोड़न के बारे में जनता में अफरा-तफरी का माहौल फैलाने को लेकर फटकार लगायी थी। सर्वोच्च अदालत की संविधान पीठ आधार से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई कर रही है। सर्वोच्च अदालत ने बैंकों और मोबाइल कंपनियों को ग्राहकों को आधार जोड़ने की आखिरी तारीख भी बताते रहने के लिए कहा है।

रिपोर्ट के अनुसार इस आदेश के बाद जो पॉलिसी धारक अपनी पॉलिसी से आधार और पैन नहीं जोड़ेंगे उनका भुगतान रोका जा सकता है। रिपोर्ट के अनुसार आईआरडीएआई के एक जून 2017 के गज़ट अधिसूचना के अनुसार बीमा कंपनियों समेत सभी वित्तीय सेवा प्रदाताओं को ग्राहकों के आधार और पैन कार्ड/फॉर्म 60 को जोड़ना है। आईआरडीएआई (लाइफ) के अधिकारी नीलेश साठे ने टीओआई को बताया कि जीवन बीमा से जुड़ी पॉलिसियों को भी आधार और पैन से जोड़ना होगा। कई बीमा कंपनियों 50 हजार रुपये सालाना से ज्यादा प्रीमियम देने वाले ग्राहकों से पहले से ही पैन लेने के बाद ही भुगतान ले रही हैं।

रिपोर्ट के अनुसार बीमा धारक संबंधित कंपनी के दफ्तर जाकर या मोबाइल मैसेज या ऑनलाइन से अपने आधार और पैन को जोड़ सकते हैं। रिपोर्ट के अनुसार देश भर में करीब 29 करोड़ लोगों के पास जीवन बीमा है। वहीं 21 करोड़ वाहन धारकों के पास बीमा है। स्वास्थ्य बीमा धारकों की भी संख्या अच्छी खासी है। पिछले साल करीब ढाई करोड़ लोगों ने जीवन बीमा लिया था जिनमें 2.05 करोड़ लोगों ने भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के ग्राहक बने थे। देश में करीब 54 बीमा कंपनियां हैं।  इनमें से चार सामान्य बीमा, एक जीवन बीमा और एक रिइंश्योरेंस कंपनी सार्जवनिक क्षेत्र वाली कंपनी है।

 

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