राष्ट्रपति कोविंद की बहू को बीजेपी ने नहीं दिया टिकट, निर्दलीय मैदान में उतरीं

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की बहू दीपा कोविंद कानपुर की झिंझक नगर पालिका परिषद चेयरपर्सन सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ेंगी। दीपा कोविंद ने ने गुरुवार (नौ नवंबर) को अपना नामांकन पत्र दाखिल किया। दीपा रामनाथ कोविंद के भतीजे पंकज कोविंद की पत्नी हैं। पंकज कोविंद ने टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा कि उनकी पत्नी पिछले कुछ समय से नगर पालिका परिषद चुनाव लड़ने का प्रयास कर रही थीं। पंकज के अनुसार स्थानीय लोग और उनेक मित्र-रिश्तेदार चाहते थे कि दीपा चुनाव लड़ें। लेकिन दीपा को भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) से चुनाव का टिकट मिलना स्थानीय लोगों में चर्चा का विषय है। माना जा रहा है कि बीजेपी से टिकट न मिलने के बाद ही दीपा ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर पर्चा भरा। दीपा के कुछ समर्थकों का आरोप है कि बीजेपी ने सही उम्मीदवार को टिकट नहीं दिया है।

उत्तर प्रदेश में तीन चरणों में 22 नवंबर, दूसरा 26 नवंबर और 29 नवंबर को निकाय चुनाव होगा। इस चुनाव में नगर निगम, नगर पालिका परिषद और नगर पंचायत के पदाधिकारी चुने जाएंगे। उत्तर प्रदेश में मार्च 2017 में योगी आदित्यनाथ सरकार बनने के बाद ये पहला चुनाव है। चुनाव में बीजेपी के शिव सेना और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी इत्यादि सहयोगी दल स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ रहे हैं।

रामनाथ कोविंद जुलाई 2017 में देश के राष्ट्रपति चुने गये थे। 71 साल के कोविंद उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात के डेरापुर तहसील के झिंझक कस्बे के एक छोटे से गांव परौख के रहने वाले हैं। रामनाथ कोविंद पेशे से वकील हैं। वो पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के निजी सचिव भी रह चुके हैं। कोविंद दो बार बीजेपी के टिकट पर राज्य सभा सांसद रहे। उनका जन्म 01 अक्टूबर 1945 को हुआ था। कोविंद की शुरुआती शिक्षा संदलपुर ब्लॉक के गांव खानपुर से हुई। कानपुर के डीएवी लॉ कॉलेज से वो कानून स्नातक हैं। आठ अगस्त 2015 को उन्हें बिहार का गवर्नर नियुक्त किया गया था।

कोविंद साल 1977 में केंद्र में बनी जनता पार्टी की सरकार में प्रधानमंत्री मोरार जी देसाई के निजी सचिव भी रह चुके हैं। इसके बाद वो बीजेपी से जुड़ गए। रामनाथ कोविंद साल 1994 से लेकर साल 2006 तक संसद के ऊपरी सदन राज्यसभा के सदस्य रह चुके हैं। साल 1990 में उन्होंने यूपी के घाटमपुर लोकसभा सीट से चुनाव भी लड़ा था। साल 2007 में कोविंद ने भोगनीपुर विधान सभा सीट से भी चुनाव लड़ा था लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा। वो बीजेपी के महामंत्री भी रह चुके हैं। बीजेपी राष्ट्रीय अनुसूचित जाति-जनजाति मोर्चा के अध्यक्ष, महामंत्री और प्रवक्ता भी रह चुके हैं।

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