कालभैरव अष्टमी 2017: भगवान शिव के रुप भैरव की अराधना करने से रुकता है धन प्रवाह, जानिए अन्य लाभ

हिंदू पंचाग के अनुसार हर माह की कृष्ण पक्ष अष्टमी की तिथि को कालाष्टमी मनाई जाती है। इस दिन भगवान शिव के रौद्र रुप काला भैरव की पूजा की जाती है। इस दिन का व्रत रखने से सभी नकारात्मक शक्तियां खत्म हो जाती हैं। मार्गशीर्ष माह की काला अष्टमी सबसे प्रमुख मानी जाती है। इस अष्टमी के दिन ही काल भैरव अष्टमी मनाई जाती है। इसदिन के लिए मान्यता है कि भगवान शिव ने पापियों को दंड देने के लिए रौद्र रुप धारण किया था। भगवान शिव के दो रुप हैं एक बटुक भैरव और दूसरा काल भैरव। बटुक भैरव रुप अपने भक्तों को सौम्य प्रदान करते हैं और वहीं काल भैरव अपराधिक प्रवृत्तयों पर नियंत्रण करने वाले प्रचंड दंडनायक हैं। इस दिन व्रत और पूजा करने से घर में कभी भूत-पिशाच या किसी बुरी नजर का साया नहीं पड़ता है।

– वशीकरण, उच्चाटन, सम्मोहन, स्तंभन, आकर्षण और मारण जैसी तांत्रिक क्रियाओं के दुष्प्रभाव को नष्ट करने के लिए भैरव साधना की जाती है।

– इस दिन भैरव की अराधना करने से शत्रुता समाप्त होती है और उनसे होने वाले नुकसान से लाभ होने लगता है।

– किसी ने तांत्रिक क्रियाओं से व्यवसाय, काम आदि पर नकारात्मक प्रभाव बनाया हुआ है तो इस दिन विशेष साधना से इन सभी से मुक्ति मिलती है।

– किसी को दिया हुआ पैसा जो लौटा ना रहा हो, रोग या कार्यों में विघ्न, मुकदमे आदि से धन की बर्बादी को भैरव की साधना रोकती है।

– भगवान बटुक भैरव के सात्विक रुप का ध्यान करने से आयु में वृद्धि और समस्त आधि-व्याधि से मुक्ति मिलती है। इसके साथ ही जीवन में सौभाग्य बना रहता है।

– शनि या राहु केतु से पीड़ित व्यक्ति अगर शनिवार या रविवार के दिन काल भैरव के मंदिर में जाकर पूजन करे तो उसके सारे कार्य सकुशल होने प्रारम्भ हो जाते हैं। भैरव की पूजा अर्चना से परिवार में सुख-शांति, समृद्धि के साथ स्वास्थ्य की रक्षा भी होती है।

– भैरव कवच के नियमित पाठ करने से आकाल मृत्यु से बचा जा सकता है।

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