बीजेपी नेता कैलाश विजयवर्गीय ने 9/11 आतंकी हमले से की नोटबंदी की तुलना, बोले- ये तारीखें हैं दुनिया के लिए अहम
अमेरिका पर वर्ष 2001 के भीषण आतंकी हमले और नरेंद्र मोदी सरकार की वर्ष 2016 की नोटबंदी की तारीखों को एक ही तराजू पर तौलते हुए भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि दुनिया के लिये “9/11” और “8/11”, दोनों महत्वपूर्ण हैं। विजयवर्गीय ने इंदौर के पाटनीपुरा चौराहे पर नोटबंदी के समर्थन में भाजपा की गुरुवार रात आयोजित रैली में कहा, “8/11 और 9/11, ये दोनों तारीखें दुनिया के लिए महत्वपूर्ण हैं। मोदी सरकार ने 8/11 (आठ नवंबर 2016) को नोटबंदी की घोषणा के साथ भ्रष्टाचार समाप्त करने के लिए बड़ा कदम उठाया था, तो अमेरिका में 9/11 (11 सितम्बर 2001) की घटना के बाद आतंकवादियों को समाप्त करने के लिए संकल्प लिया गया था।”
उन्होंने कहा कि नोटबंदी के फैसले ने काले धन के कारोबारियों, आतंकवादियों को समर्थन देने वाले लोगों और भ्रष्टाचारियों की नींद उड़ा दी है। भाजपा के पश्चिम बंगाल प्रभारी ने यह दावा भी किया कि नोटबंदी के बाद इस सूबे के सरकारी तंत्र में नकदी के बजाय सोने की ईंटों के जरिए रिश्वत का लेन-देन किया जा रहा है। उन्होंने कहा, “मुझे दो महीने पहले पश्चिम बंगाल के एक उद्योगपति से पता चला कि वहां नोटबंदी के बाद भ्रष्टाचार का तरीका बदल गया है और सरकारी तंत्र में काम कराने के लिए कैडबरी के जरिए रिश्वत दी जा रही है। उद्योगपति ने मुझे बताया कि कैडबरी का मतलब सोने की एक किलोग्राम वजनीय ईंट है।’’
विजयवर्गीय ने कहा, “….तो अब पश्चिम बंगाल में भ्रष्टाचारी नकदी नहीं, कैडबरी ले रहे हैं। मोदी इस गोरखधंधे को रोकने का भी तोड़ निकालेंगे, क्योंकि भ्रष्टाचार से सबसे ज्यादा नुकसान गरीबों का होता है।” उन्होंने नोटबंदी का विरोध कर रहे विपक्षी राजनेताओं पर निशाना साधते हुए कहा, “देश के तय करना होगा कि वह नमो (नरेंद्र मोदी) का समर्थन करेगा या नमूनों का। इन नमूनों पर लतीफे बनते हैं और उनके समर्थक काले कपड़े पहनकर नोटबंदी जैसे ऐतिहासिक फैसलों का विरोध करते हैं।” रैली में भाजपा उपाध्यक्ष श्याम जाजू भी शामिल हुए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पूरे देश में नोटबंदी के खिलाफ आंदोलन कर रही है। लेकिन यह “भाजपा बनाम कांग्रेस” नहीं, बल्कि “देशभक्तों और देशद्रोहियों” के बीच की लड़ाई है। उन्होंने कहा कि नोटबंदी के फैसले से दुनिया भर में भारत का परचम लहराया है और आर्थिक क्षेत्र में देश की विश्वसनीयता बढ़ने से विदेशी निवेश को बढ़ावा मिला है।