पुणे का ‘संस्कारी विश्वविद्यालय’: मांसाहारी हैं तो गोल्ड मेडल पाने के काबिल नहीं
पुणे विश्वविद्यालय ने शुक्रवार को एक अजीबोगरीब आदेश जारी किया है। इस आदेश के मुताबिक विश्वविद्यालय के मांसाहारी छात्र पढ़ने-लिखने में काबिल होने के बावजूद गोल्ड मेडल पाने के हकदार नहीं होंगे। यूनिवर्सिटी प्रशासन के मुताबिक गोल्ड मेडल पाने की कई शर्तों में एक शर्त छात्र-छात्रा का शाकाहारी होना भी शामिल है। पूणे यूनिवर्सिटी भारत की नामी-गिरामी शिक्षण संस्थाओं में से एक है। यूनिवर्सिटी की स्थापना साल 1949 में की गई। साल 2014 के अगस्त महीने में महाराष्ट्र सरकार ने इस विश्वविद्यालय का नाम राज्य की महान समाज सुधारक और शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी काम करने वाली सावित्रीबाई फुले के नाम पर रख दिया गया। इसके बाद यह यूनिवर्सिटी सावित्रीबाई फुले पुणे यूनिवर्सिटी के नाम से जाना जाने लगा। विश्वविद्यालय प्रशासन ने त्यागमूर्ति श्रीमती सरस्वती रामचन्द्र शेलार स्वर्णपदक देने की घोषणा की है।
विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक पढ़ाई लिखाई में अव्वल रहने वाले विद्यार्थियों को यह पुरस्कार दिया जाएगा। इसके लिए छात्र 15 नवंबर तक अपना आदेश दे सकते हैं। गोल्ड मेडल पाने के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन ने जो शर्त दी है उसके मुताबिक आवेदशक को दसवीं, बारहवीं और ग्रेजुएशन की पढ़ाई में पहली श्रेणी या दूसरी श्रेणी के साथ पास होना चाहिए। शर्त नंबर सात में जो लिखा गया है उसके मुताबिक इस मेडल के लिए केवल शाकाहारी और शराब ना पीने वाले छात्र ही अप्लाई कर सकते हैं। अहर्ता सूची में ये भी लिखा गया है कि योग, प्राणायाम और ध्यान करने वाले छात्र को इस मेडल के लिए प्राथमिकता दी जाएगी।विश्वविद्यालय प्रशासन के मुताबिक मेडल के लिए अप्लाई करने वाले छात्र को भारतीय सभ्यता-संस्कृति में भी रुचि होनी चाहिए। ऐसे छात्रों को विश्वविद्यालय की ओर से प्राथमिकता दी जाएगी।
बता दें कि पुणे विश्वविद्यालय की ओर से ये फैसला तब आया है जब दिल्ली स्थित जेएनयू परिसर में एक छात्र द्वारा बिरयानी खाने पर उस पर विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से 6 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है। मोहम्मद आमिर मलिक नाम के इस एमए के छात्र ने यूनिवर्सिटी के प्रशासनिक भवन के सामने बिरयानी बनाकर अपने दोस्तों के साथ खाया था।