बागी हुए बीजेपी सांसद! बोले- पार्टी उम्मीदवार को हराऊंगा चुनाव, भले चली जाय सांसदी
उत्तर प्रदेश के कैसरगंज संसदीय सीट से भारतीय जनता पार्टी के सांसद और भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह ने उत्तर प्रदेश के स्थानीय निकाय चुनावों में संगठन द्वारा अपनी उपेक्षा से नाराज होकर बगावत का ऐलान कर दिया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तर्ज पर शुक्रवार (10 नवंबर) की शाम ‘गोण्डा की जनता से मन की बात’ कार्यक्रम में वह भावुक हो गए और कहा कि वह नवाबगंज नगर पालिका के लिए पार्टी द्वारा घोषित प्रत्याशी का खुलकर विरोध करेंगे। चाहे इसका खामियाजा मुझे लोकसभा की सदस्यता गंवाकर ही क्यों न चुकाना पड़े।
बीते विधानसभा चुनाव के बाद से ही पार्टी के स्थानीय संगठन से नाराज चल रहे भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह ने शुक्रवार की शाम अपने संसदीय कार्यालय परिसर ‘गोनार्द लॉन’ में शहर की जनता से बात करने के लिए ‘मन की बात’ कार्यक्रम आयोजित किया था। समर्थकों से खचाखच भरे पाण्डाल में सांसद जब बोलने के लिए खड़े हुए तो बेहद भावुक हो गए। उन्होंने टिकट बंटवारे को लेकर संगठन पर करारा आरोप मढ़ा। बृजभूषण शरण सिंह ने कहा कि टिकट बंटवारे को लेकर हमसे (पिता-पुत्र) संगठन ने एक बार चर्चा तक नहीं की। पार्टी नेतृत्व को गुमराह किया गया। ऊपर तक सही बात नहीं पहुंचाई गई। उन्होंने कहा कि मैंने अपने गृह क्षेत्र नवाबगंज में पार्टी का प्रत्याशी उतार दिया है। भले ही उसे पार्टी का चुनाव चिन्ह नहीं मिला है।
सांसद ने कहा कि नवाबगंज में पार्टी ने जिसे प्रत्याशी घोषित किया है, वह बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी के नेताओं की भी बहुत करीबी रही हैं और उनके समय में भी अध्यक्ष रह चुकी हैं। उनकी सगी देवरानी को समाजवादी पार्टी ने प्रत्याशी घोषित किया है। उन्होंने कहा कि नवाबगंज में पार्टी इतनी कमजोर नहीं है कि उसे अपना प्रत्याशी न मिले। सांसद ने कहा कि अंजू सिंह और उनका परिवार न तो कभी पार्टी का प्राथमिक सदस्य रहा और न ही पार्टी से टिकट मांगा। ऐसे व्यक्ति को पार्टी उम्मीदवार बनाए जाने का कोई औचित्य नहीं था। सांसद ने कहा कि इसलिए मैंने नवाबगंज में पार्टी के वफादार कार्यकर्ता का नामांकन करवाकर उसे प्रत्याशी बना दिया है। उसी की मदद करूंगा और पार्टी द्वारा घोषित प्रत्याशी का विरोध करूंगा। चाहे इसका खामियाजा मुझे लोकसभा की सदस्यता गंवाकर ही क्यों न चुकाना पड़े।
अपने भाषण के दौरान उन्होंने समर्थकों से सवाल किया कि यद्यपि गोण्डा नगर पालिका के लिए भी पार्टी प्रत्याशी घोषित करने में हमसे कोई राय नहीं ली गई है। तथापि हमें पार्टी प्रत्याशी की मदद करनी चाहिए या नहीं करनी चाहिए। इस पर मिला जुला स्वर बुलंद हुआ। उन्होंने कहा कि आप कहेंगे तो मदद करूंगा अन्यथा उठकर घर चला जाऊंगा। सांसद ने आरोप लगाया कि संगठन ने ऐसे लोगों को टिकट दिया जो हमारे चुनावों में विरोध कर रहे थे। कैसरगंज संसदीय क्षेत्र के अन्तर्गत गोण्डा जिले में दो नगर पालिका नवाबगंज व कर्नलगंज तथा दो नगर पंचायत कटरा बाजार व परसपुर होने के बावजूद हमारे एक भी समर्थक को टिकट नहीं दिया गया। क्या संगठन ने यही तय किया था कि सांसद जी के साथ रहने वालों को टिकट नहीं देंगे। उन्होंने कहा कि मैं जो करता हूं, डंके की चोट पर करता हूं। कभी उसके कीमत की परवाह नहीं करता।
सांसद ने कहा कि गोण्डा की राजनीति में मैं बिछावन कभी नहीं रहा। महफिल हूं और महफिल रहूंगा। यदि मुझे महफिल से उठाया गया तो फिर वह महफिल, महफिल नहीं रहेगी। उन्होंने एक कविता के माध्यम से अपनी बात कही:
किससे मन की बात करूं मैं?
सुनने को तैयार कौन है, फुर्सत किसको कितनी है?
लगे हुए सब अपने-अपने, सबको अपनी-अपनी है।
बनकर मूक मेघ सा कब तक, बोलो बज्राघात सहूं मैं?
किससे मन की बात करूं मैं।