कपड़े के मास्क से नहीं होगा प्रदूषण से बचाव, एन 95 या एन 99 मास्क ही सुरक्षा देने में कारगर

राजधानी में दिनोंदिन बढ़ती प्रदूषण और धुंध की समस्या के साथ ही सेहत से जुड़े उत्पादों का बाजार भी गर्म हो गया है। इन दिनों प्रदूषण से राहत दिलाने वाले मास्क की बिक्री सबसे ज्यादा बढ़ गई है। लोग बिना सोचे-समझे कोई भी मास्क खरीद कर लगा रहे हैं। हालांकि विशेषज्ञों ने चेताया है कि बिना वैज्ञानिक आधार वाले दिशानिर्देश जारी न किए जाएं। इसके साथ ही सौर ऊर्जा के उपकरण व एयर प्यूरीफायर के विज्ञापन मोबाइल से लेकर सोशल साइट्स तक पर छा गए हैं।  राजधानी की तमाम सड़कों, मेट्रो स्टेशनों, पार्कों व काम की जगहों पर लोग मास्क लगाए नजर आ रहे हैं। एम्स और सफदरजंग अस्पताल के बीच बनी दवा की दुकानों पर शनिवार को भी मास्क खरीदने वालों की कतार लगी रही। यहां आने वाले लोगों में से कोई काला, कोई नीला तो कोई सफेद मास्क मांग रहा है। इनमें साधारण कपड़े के मास्क व सर्जिकल मास्क भी शामिल हैं, जो आमतौर से अस्पतालों में इस्तेमाल किए जाते हैं। कुछ दुकानों पर मास्क का स्टॉक खत्म होने की बात भी कही गई। हालांकि लोगों को यह नहीं मालूम कि जो मास्क वे खरीद रहे हैं वह कारगर है भी या नहीं और न ही दुकानदार उनको इस बात की जानकारी दे रहे हैं। नतीजा यह है कि साधारण कपड़े के मास्क से लेकर हर तरह के मास्क की बिक्री जोरों पर है। दुकानों पर 20 रुपए लेकर 80 व 125 रुपए तक के मास्क मिल रहे हैं।

विशेषज्ञों की मानें तो कोई भी मास्क लगा लेने से प्रदूषण से नहीं बचा जा सकता। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के स्वास्थ्य समिति के सदस्य डॉ टीके जोशी ने कहा है कि केवल सर्टीफाइड मास्क ही कारगर है, जोकि एन 95 या एन 99 नाम से आता है। अगर मानक नहीं है तो मास्क लगाने का फायदा कम नुकसान ज्यादा है क्योंकि साधारण मास्क हवा को छानता नहीं, बल्कि आपके शरीर से निकली गंदी हवा ही वापस सांस में घुल जाती है। साधारण मास्क से सांस लेने में जोर भी लगाना पड़ता है। उन्होंने कहा कि मानक वाले मास्क भी तभी कारगर हैं, जब उनको एअरटाइट तरीके से लगाया जाए। अगर कोई दाढ़ी वाला व्यक्ति मास्क लगाता है तो भी उसे सुरक्षा नहीं मिलती। मास्क दो-तीन दिन में जाम हो जाता है और उसे बदलने की जरूरत पड़ती है। एम्स के डॉ प्रसून चटर्जी ने कहा कि मास्क सही आकार के होंगे तभी कारगर होंगे क्योंकि बड़े लोगों के लिए बने मास्क अगर बच्चों को लगा दिए जाएं तो वे सुरक्षा नहीं दे पाएंगे। उन्होंने कहा कि हर समय मास्क लगाना व्यावहारिक नहीं है। बाहर निकलते वक्त या हृदय रोग व अस्थमा के मरीजों को ही इसे पहनने की जरूरत है। उन्होंने सलाह दी कि धुंध के समय भीड़ व यातायात वाली जगहों पर जाने से बचें। मेहनत वाले काम न करें, जिसमें लंबी व गहरी सांस लेने की जरूरत पड़ती है।
डॉ जोशी ने कहा कि बच्चों के स्कूल न जाने से ज्यादा जरूरी है कि वे इस समय ज्यादा उछल-कूद और व्यायाम न करें। उन्होंने कहा कि सुबह या शाम को टहलना सेहत के लिए ठीक है, लेकिन सांस फूलने वाले काम न करें। हृदय रोग व अस्थमा के मरीज खास सावधानी बरतें।

 

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