राम सेतु बचाएगी या तोड़ेगी मोदी सरकार? सुप्रीम कोर्ट ने फैसले के लिए केंद्र को दिया छह हफ्ते का वक्त
सेतुसमुद्रम नौवहन नहर परियोजना को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को छह सप्ताह का समय दिया है। शीर्ष अदालत ने कहा है कि तय वक्त के भीतर सरकार को राम सेतु पर अपना स्टैंड साफ करना होगा। केंद्र को यह बताना होगा कि वह राम सेतु को हटाना चाहते हैं या उसे बचाना चाहते हैं। बता दें कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अधीन आने वाला इंडियन काउंसिल ऑफ हिस्टोरिकल रिसर्च (ICHR) राम सेतु के मिथ को लेकर शोध कर रहा है। तमिलनाडु और श्रीलंका के तटों के बीच बना यह ब्रिज उस समय विवाद के केंद्र में आ गया था जब यूपीए सरकार ने सेतुसमुद्रम नौवहन नहर परियोजना की योजना बनाई थी। सेतु को लेकर विभिन्न हिन्दू संगठनों का दावा है कि इसे भगवान राम की ‘वानर सेना’ ने बनाया जबकि कुछ का तर्क है कि चूने की शेल पर अपने-आप बनी श्रृंखला है।
2014 में केंद्र सरकार की ओर से कहा गया था कि किसी भी सूरत में राम सेतु तोड़ा नहीं जाएगा। सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान कहा था, ”हम किसी भी हालत में राम सेतु को तोड़ेंगे नहीं। राम सेतु को बचाकर देश हित में प्रोजेक्ट हो सकता है तो हम करेंगे।”