सूर्य का पूजन करने से बढ़ता है आत्मविश्वास, जानें किस विधि का उपयोग करना होता है शुभ
शास्त्रों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि जो लोग सूर्य की क्रुर दशा से पीड़ित है उन्हें रविवार के दिन विशेष रुप से व्रत करना चाहिए। इसके साथ ही आत्मविश्वास की कमी को भी सूर्य पूजन बढ़ाता है। रविवार के स्वामी सूर्य देव हैं। नवग्रहों में सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए रविवार का व्रत किया जाता है। जिन लोगों के लिए व्रत संभव नहीं होता है तो उनके लिए कुछ विशेष उपाय होते हैं जिन्हें अपनाकर धन, यश और स्वास्थय की प्राप्ति होती है। सूर्य देव का पूजन करने वालों को अपने खान-पान पर भी विशेष ध्यान रखना होता है। माना जाता है कि सूर्य सबसे गर्म ग्रह है अगर इनकी पूजा के साथ गर्म सामाग्री का सेवन किया जाता है तो वो शरीर के लिए नुकसानदेह होता है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि किस विधि से सूर्य का पूजन करना लाभकारी हो सकता है।
सूर्य पूजन के लिए तांबे की थाली और तांबे की कटोरी का उपयोग करना सबसे शुभ माना जाता है। इसके साथ जल में लाल चंदन और लाल फूल मिलाकर सूर्य को हर सुबह अर्घ्य दें। इसके बाद दीपक जलाकर ऊं सूर्याय नमः का जाप करें और सूर्य को प्रणाम करें। लौटे से सूर्य को जल चढ़ाएं और सूर्य मंत्र का जाप करें। इसके साथ ऊं सूर्याय नमः अर्घ्य समर्प्यामी का जाप करते हुए जल अर्पित करें। इस दौरान ध्यान रखें कि लौटे से जल की धारा पर ही नजरें हों और सूर्यदेव की आरती करके उनके आगे नमन करें। यदि घर में आर्थिक स्थिति बिल्कुल भी ठीक नहीं रहती है और इस कारण से घर में अनेकों परेशानियों रहने लग गई हैं तो इसके लिए एक आसान-सा उपाय करके सभी परेशानियों से बचा जा सकता है। चींटियों को चीनी खिलाकर धन और धान्य की परेशानियों से बचा जा सकता है।
नहाने और पूजा के बाद सूर्य की पूजा करनी चाहिए। इसके साथ ही आपको बता दें कि दिन में 3 बार सूर्य को अर्घ्य देने का नियम होता है। सिर्फ जल चढ़ाना ही सूर्य की पूजा नहीं होती है इसके साथ सूर्य के मंत्रों का जाप अनिवार्य होता है। आदित्य ह्रदय स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। यदि कोई व्यक्ति नेत्र रोग से परेशान हो तो उसके लिए सूर्य की पूजा के साथ नेत्रोपनिषद् का रोजाना पाठ करना चाहिए। सूर्य पूजा रोजाना करने लगते हैं तो एक बात अवश्य ध्यान रखनी चाहिए कि रविवार को नमक का सेवन नहीं करना चाहिए और साथ ही दिन में एक बार भोजन करना चाहिए।