दिल्ली उच्च न्यायालय ने केजरीवाल सरकार को लगाई फटकार, कहा- युद्ध स्तर पर खरीदी जाएं बसें

दिल्ली के जहरीली धुंध की स्थिति के मद्देनजर मंगलवार को दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा कि शहर में और बसों की तुरंत जरूरत है। साथ ही, अदालत ने कहा कि ‘आप’ सरकार को युद्ध स्तर पर इसका हल करने की जरूरत है। अदालत ने इस बात का जिक्र किया कि उच्चतम न्यायालय के आदेश के 19 साल गुजर जाने के बाद भी दिल्ली सरकार ने शीर्ष न्यायालय द्वारा निर्धारित लक्ष्य को हासिल नहीं किया है।
इसने कहा, ‘‘दिल्ली की दशा देखिए। लोग सांस नहीं ले पा रहे हैं। यहां तक कि उच्च न्यायालय के गलियारों में भी धुंध है। शहर की सड़कों के लिए और बसों की फौरी जरूरत है। उन्हें खरीदने दीजिए।’’

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी हरि शंकर की एक पीठ ने दिल्ली के लोगों के लिए और 2000 ‘स्टैंडर्ड फ्लोर’ बसें खरीदने से दिल्ली सरकार को रोकने से इनकार करते हुए यह टिप्पणी की। अदालत ने यह भी कहा कि यदि दिल्ली सरकार की हालिया सम-विषम योजना से लोगों को फायदा है तो एक बेहतर सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था की जरूरत है। इसने कहा कि सभी प्राधिकारों ने विचार दिया है कि वायु प्रदूषण की बड़ी वजह गाड़ियां हैं। इसलिए दिल्ली सरकार को और बसें सड़कों पर उतारने के लिए युद्ध स्तर पर कोशिश करनी चाहिए।

पीठ ने कहा कि यदि सरकार सार्वजनिक परिवहन को कारगर करने के लिए कदम उठाने को इच्छुक नहीं है तो पंजाब और हरियाणा में पराली जलाए जाने को ही वायु की खराब गुणवत्ता के लिए एकमात्र कारण नहीं बताया जा सकता। अदालत ने एक अपंग याचिकाकर्ता के पीआईएल पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की जिसने 300 करोड़ रूपए की कीमत की 2000 स्टैंडर्ड फ्लोर बसें खरीदने की दिल्ली सरकार के कदम को चुनौती दी थी। अदालत ने बसों की प्रस्तावित खरीदारी पर रोक लगाने से इनकार कर दिया और कहा कि यदि सरकार को बसों की जरूरत है तो उसे ऐसा करने दिया जाए।

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