केजरीवाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से पूछा, संविधान या किस कानून में लिखा है कि दिल्‍ली भारत की राजधानी है?

दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार ने मंगलवार (14 नवंबर) को सुप्रीम कोर्ट से पूछा कि क्या भारत के संविधान या देश के किसी अन्य कानून में दिल्ली को भारत की राजधानी बताया गया है? दिल्ली सरकार के विधायी अधिकारों से जुड़े मामले में केजरीवाल सरकार की तरप से पेश हुई वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जय सिंह ने सर्वोच्च न्यायाधीश दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति एके सिकरी, एएम खानविलक्र, डीवाई चंद्रचूड़ और अशोक भूषण की पीठ के सामने कहा कि भारत के संविधान या किसी अन्य कानून में ये नहीं लिखा है कि दिल्ली भारत की राजधानी होनी चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट की पीठ के सामने इंदिरा जय सिंह ने कहा, “राजधानी किसी कानून द्वारा निर्धारित नहीं है। केंद्र सरकार चाहे तो राजधानी क कहीं और ले जाने का फैसला कर सकती है। संविधान में भी नहीं लिखा है कि राजधानी दिल्ली है। हम जानते हैं कि अंग्रेजों ने कलकत्ता (अब कोलकाता) से बदलकर दिल्ली को राजधानी बनायी थी। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र विधेयक है लेकिन वो भी ये सुनिश्चित नहीं करता कि दिल्ली भारत की राजधानी है।”

इंदिरा जय सिंह ने शीर्ष अदालत से कहा कि मूल सवाल ये है कि क्या राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में सत्ता के दो केंद्र, एक दिल्ली सरकार और दूसरी केंद्र सरकार, हो सकते हैं। सिंह ने कहा, “मैं ये दावा नहीं कर रही कि विधान सभा और मुख्यमंत्री की अगुवाई वाला मंत्रिमंडल होने के नाते दिल्ली एक राज्य है लेकिन जिस तरह केंद्र और राज्य सरकारों के अधिकारों का साफ विभाजन है दिल्ली में भी वैसा ही विभाजन होना चाहिए।” सिंह ने सर्वोच्च अदालत से मांग की है कि वो राजधानी में दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार के अधिकार साफ करे ताकि अरविंद केजरीवाल सरकार को खास तौर पर महिला कल्याम, रोजगार, शिक्षा, सफाई और स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम चलाने में सहलूयित हो सके।

केंद्रशासित प्रदेश दिल्ली में जब से आम आदमी पार्टी की सरकार बनी है तभी से लेफ्टिनेंट गवर्नरों से उसकी रार ठनी हुई है। पहले नजीब जंग और उसके बाद अनिल बैजल ने केजरीवाल सरकार के कई फैसलों पर या तो रोक लगा दी या उन्हें पलट दिया। केजरीवाल सरकार भारतीय जनता पार्टी पर उसके कामकाज में बाधा पहुंचाने का आरोप लगाती है। जबकि बीजेपी ने साफ किया है कि इन विवादों में उसका कोई हाथ नहीं।

 

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