नई कविता आंदोलन के मजबूत स्तंभ कुंवर नारायण का निधन

नई कविता आंदोलन के सशक्त हस्ताक्षर और अज्ञेय द्वारा संपादित ‘तीसरा सप्तक’ के प्रमुख कवि कुंवर नारायण का बुधवार को निधन हो गया। वे 90 वर्ष के थे। उनका अंतिम संस्कार बुधवार शाम दिल्ली के लोधी शवदाह गृह में किया गया। उनके बड़े बेटे अपूर्व ने उन्हें मुखाग्नि दी। कुंवर नारायण का बुधवार सुबह करीब नौ बजे निधन हो गया। पिछली चार जुलाई को मस्तिष्काघात के बाद वे कोमा में चले गए थे। उसके कारण उन्हें बीच-बीच में काफी समय अस्पताल में भी भर्ती रखा गया था। अपने समय की सच्चाइयों से अपनी तरह की भाषा से मुठभेड़ करने वाले महाकवि को अंतिम विदाई देने के लिए साहित्य जगत की जानी-मानी हस्तियां मौजूद थीं। साहित्य अकादेमी  के महत्तर सदस्य को अकादेमी की तरफ से पुष्पचक्र अर्पित किया गया।

कुंवर नारायण का जन्म 9 सितंबर 1927 को उत्तर प्रदेश के फैजाबाद में हुआ। उन्होंने कविता के अलावा कहानी एवं आलोचना विधाओं में नए कीर्तिमान गढ़े। उनके कविता संग्रहों में ‘आत्मजयी’, ‘वाजश्रवा के बहाने’, ‘चक्रव्यूह’, ‘परिवेश : हम तुम’, ‘अपने सामने’, ‘कोई दूसरा नहीं’, ‘इन दिनों’, ‘हाशिये का गवाह’ प्रमुख हैं। ‘आकारों के आसपास’ उनका कहानी संग्रह है। ‘आज और आज से पहले’ उनका आलोचना ग्रंथ है। उनकी रचनाओं का अनुवाद अंग्रेजी, इतालवी, फ्रांसीसी, पोलिश सहित विभिन्न भाषाओं में किया जा चुका है। कुंवर नारायण को 2009 में पद्म भूषण, 2005 में ज्ञानपीठ पुरस्कार और ‘कोई घोषणा नहीं’ के साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। साहित्य अकादेमी ने उन्हें 1995 में महत्तर सदस्य बनाकर सम्मानित किया था।साहित्य अकादेमी के अध्यक्ष विश्वनाथ प्रसाद तिवारी ने अपने शोक संदेश में कहा, ‘कुंवर जी हिंदी के अहम विचारक थे। अज्ञेय के बाद की नई कविता को जिन लोगों ने समृद्ध किया, उनमें कुंवर नारायण प्रमुख हैं। भूत और वर्तमान तथा दर्शन और काव्य का अद्भुत मेल प्रस्तुत किया है। उनके जाने से हिंदी की अपूरणीय क्षति हुई है। वे कला मर्मज्ञ थे संगीत और चित्रकला आदि में उनकी अच्छी पकड़ थी’। ललित कला अकादेमी के पूर्व अध्यक्ष और कवि अशोक वाजपेयी ने कहा कि कुंवर नारायण के जाने से कारण साहित्य और कला के क्षेत्र के लोग ऐसे विद्वान की कमी महसूस करेंगे जो संगीत, सिनेमा, कविता और दर्शन में अपने विचार आलोचनात्मक तरीके से रखते थे। उनकी रचनात्मक मौजूदगी की कमी हमें हमेशा महसूस होगी।

 

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