शिवरात्रि 2017 शुभ मुहूर्त और पूजा विधि: इस विधि से करें शिव अराधना, पूरी होगी हर मनोकामना
भारतीय पौराणिक कथाओं के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन मध्य रात्रि में भगवान शिव लिंग के रूप में प्रकट हुए थे। शिवरात्रि के दिन व्रत करने का प्रचलन प्राचीन काल से माना जाता है। हिंदू पुराणों में शिव रात्रि के व्रत का महत्व बताया गया है। शास्त्रों के अनुसार देवी लक्ष्मी, इंद्राणी, सरस्वती, गायत्री, सावित्री, सीता, पार्वती ने भी शिवरात्रि का व्रत करके भगवान शिव का पूजन किया था। भगवान शिव के पूजन के लिए उचित समय प्रदोष काल में होता है। ऐसा माना जाता है कि शिव की अराधना दिन और रात्रि के मिलने के दौरान करना ही शुभ होता है। शिवरात्रि भगवान शिव और शक्ति के अभिसरण का पर्व माना जाता है। हिंदू पंचाग के अनुसार हर माह कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी की तिथि को मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है। भगवान शिव को साप्ताहिक त्योहारों में सोमवार का दिन समर्पित होता है। मासिक त्योहारों में शिवरात्रि का व्रत और पूजन का महत्व माना जाता है।
पूजा विधि-
भगवान शिव की पूजा प्रदोष काल में की जाती है। दिन के डूबने और रात्रि के मिलते हुए समय को प्रदोष काल कहा जाता है। शिवरात्रि के उपवास में अन्न ग्रहण नहीं किया जाता है। इस दिन दोनों वक्त फलाहार का ही महत्व होता है। शिव पूजा का फल तभी प्राप्त होता है जब पूजा के दौरान रुद्राभिषेक किया जाता है। कई लोग इस दिन परिवार के सदस्यों के साथ मिलकर रुद्राभिषेक करते हैं। इस दिन भगवान शिव के ध्यान के लिए विशेष रुप से भगवान शिव के सामने बैठकर ध्यान किया जाता है। शिव पूजा के लिए शिव पुराण, शिव पंचाक्षर, शिव स्तुति, शिव अष्टक, शिव चालीसा, शिव रुद्राष्टक और शिव श्लोक का पाठ किया जाता है। इसके साथ ही विशेष पूजा विधि अपनाकर भगवान शिव का पूजन किया जाता है।
इस माह शिवरात्रि 16 नवंबर को है। इस दिन भगवान शिव का विधि के साथ पूजन करके मनोकामनाएं पूर्ण की जा सकती हैं। पूजा के लिए शुभ मुहूर्त रात 11 बजकर 39 मिनट से शुरु होकर 17 नवंबर की रात 12 बजकर 44 मिनट तक रहेगा। इस दौरान की गई पूजा का विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि इस दिन का व्रत इसलिए किया जाता है कि एक बार भगवान शिव के क्रोध के कारण पूरी पृथ्वी जलकर भस्म होने ही वाली थी कि माता पार्वती ने भगवान शिव की प्रार्थना करके उन्हें प्रसन्न किया और उनका क्रोध शांत किया। इस मान्यता के कारण हर माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन भगवान शिव की अराधना की जाती है। इस दिन को शिव रात्रि कहा जाता है। माना जाता है शिव रात्रि का व्रत करने वालों के सभी दुख का अंत हो जाता है। इसी के साथ संतान प्राप्ति, रोगों से मुक्ति के लिए शिवरात्रि का व्रत किया जाता है।